Thursday, 28 November 2024

योग दिवस : बेगानी शादी मे आयुर्वेद दीवाना!!!

 योग दिवस : बेगानी शादी मे आयुर्वेद दीवाना!!!


लेखक : Copyright कॉपीराइट ©वैद्य हृषीकेश बाळकृष्ण म्हेत्रे. 

एम् डी आयुर्वेद, एम् ए संस्कृत.

आयुर्वेद क्लिनिक्स @पुणे & नाशिक.

9422016871

22 जून 2023, गुरुवार


योग आसन प्राणायाम सूर्यनमस्कार आदि मे जिनको कौशल और तद्विद्यता प्राप्त है, उन सभी के प्रति आदर व्यक्त करके, आगे का मंतव्य प्रस्तुत कर रहा हूं. कृपया व्यक्तिशः न ले.

आंताराष्ट्रीय ~आंतरराष्ट्रीय~ योग दिवस सभीने सेलिब्रेट किया. एक जनसामान्य व्यक्ती के रूप मे अगर योग दिवस को विविध event के द्वारा सेलिब्रेट किया है, तो वह अभिनंदनीय है और राष्ट्रीय कर्तव्य भी है. किंतु आयुर्वेद शास्त्र के व्यासपीठ पर, धरातल पर, स्टेज पर, डोमेन पर ... अगर हम योग का पुरस्कार कर रहे है, तो वो कितना स्वागतार्ह है, यह एक बार खुले मनसे सोचना चाहिए ... भावना से नही, अपितु तर्कसे और बुद्धी से. 


योग आयुर्वेद के दृष्टि से क्या है? 

1. योग एक तंत्रयुक्ति है 

2. योग सुख दुःख का कारण है, जो चार प्रकार का है ... हीन मिथ्या अति और सम्यक् या सम. इसमे सम्यक् योग दुर्लभ है 

3. योग वैद्य का सर्वश्रेष्ठ गुण है (यद्यपि चरकने वैद्यके गुणों मे खुड्डाक चतुष्पाद मे योग गुण का उल्लेख नही किया है. अस्तु. वह अन्य विषय है)

4. योग औषधी द्रव्यों का मेलक है. केवल योग से चिकित्सा न करे, उसके पीछे तर्क की आवश्यकता है, ऐसे स्वयं चरक ने कहा है. 

कुर्याच्चिकित्सितं प्राज्ञो न योगैरेव केवलम्

केवल किसी के कॉपी किये हुए रेडीमेड योग कॉम्बिनेशन से चिकित्सा ना करे

योगैरेव चिकित्सन् हि देशाद्यज्ञोऽपराध्यति ॥

देश काल प्रकृती इत्यादी का विचार की बिना केवल योग असे किसी के कॉपी किये हुए रेडीमेड कॉम्बिनेशन से चिकित्सा करने पर एक नैतिक अपराध हो जाता है अन्नदाता पेशंट के प्रति

तो इन तीन या चार संदर्भ के अनुसार, 

योग संज्ञा आयुर्वेद शास्त्र को अभिप्रेत है.

जो लोकप्रिय व्यावहारिक योग (Yoga) है उसका आयुर्वेद मे कही पर भी स्थान संदर्भ उपयोजन आदेश उपदेश निर्देश वर्णन उपलब्ध नही है.

तो हम क्यू *बेगाने शादी मे दिवाना* होने का इतना प्रयास करते है!? योग दिवस पर इतनी *उछल कूद* करने की और *खुशिया मनाने* की और *जोर शोर से उसको सेलिब्रेट* करने की हमे आवश्यकता क्यू प्रतीत होती है? 


A.

क्या योगशास्त्रने हमारे परिभाषा को स्वीकार किया है? 

नहीं

B.

क्या आसन प्राणायाम मुद्रा बंध शुद्धिक्रिया इनका दोषवर्धकत्व दोषशामकत्व धातुओ पर परिणाम, कम से कम पंचमहाभूतो पर परिणाम... कही पर निर्दिष्ट है? और अगर निर्देशित है भी तो, क्या व्यवहार में वह प्रतीत होता है या उपयोग मे लाया भी जाता है? 

C.

योग को तो कभी आयुर्वेदिक के किसी परिभाषा की आवश्यकता प्रतीत नही हुई!? 

योग ने अपनी शुद्धिक्रियाये स्वयं निर्माण की, पंचकर्म को स्वीकार नही किया. 

D.

योगने वात के नाम तक अपनी स्वयं की परिभाषा मे धनंजय देवदत्त कूर्म आदि रखे , प्राण उदान समान को स्वीकार किया नही.

E.

पूरे चरक में या आयुर्वेद की बृहत्त्रयी मे अमुक व्याधी पर अमुक आसन करे , अमुक प्राणायाम करे, अमुक शुद्धिक्रिया करे, ऐसा कही भी निर्देश नही है. 

F.

चरक मे योग का "मात्र दो बार" उल्लेख होता है, किंतु वह निदान या चिकित्सा इस स्वरूप मे नही है. 

G.

तो ऐसी स्थिती मे हम योग के पीछे कितने पागल जैसे क्यू भागते रहते है?! 

H.

योग और आयुर्वेद इन दोनों का प्रयोजन अलग अलग है.

आयुर्वेद स्वस्थ रक्षा और रोग परिहार के लिए और योग मोक्ष के लिये है, मन के लिये है.

ऐसा डिस्क्रिमिनेशन विषय विभाग स्पष्ट रूप से दो श्लोक मे उपलब्ध है. वे श्लोक सभी को पता है 

योगेन चित्तस्य पदेन वाचा ... तथा पातंजलमहाभाष्य मनोवाक्कायदोषाणाम् ... 

I.

योग अगर रोग के लिए होता तो ऐसा स्पष्ट उल्लेख दर्शन शास्त्र मे होता. योग भगाये रोग , अगर यह सत्य होता, तो तपंजली आयुर्वेद औषधों को क्यू मॅनुफॅक्चर करता ?! योग से हि रोग भगा दे सकता था ना!?

J.

दूसरी बात ऐसी है, की आयुर्वेद शास्त्र के लिए सबसे समीप कौनसा दर्शन है? 

तो वैशेषिक सर्वाधिक समीप है, उससे थोडासा दूर संबंधित दर्शन न्याय है तथा सांख्य है, पाप और नियती इनको भी हमने हेतू के रूप मे माना है, तो मीमांसा भी हमारे समीप का दर्शन है, तो इन आयुर्वेद उपयोगी और आयुर्वेद सुसंगत दर्शन ओके भी डेज / दिवस हमने मनाना आवश्यक है, उचित है, सुसंगत है. वह हम कभी सोचेंगे नही करेंगे तो बिलकुल भी नही. ऐसे स्थिती मे, जो योग दर्शन ना तो आयुर्वेद की परिभाषा को स्वीकार करता है और ना हि आयुर्वेद में भी योग दर्शन का कभी कोई संदर्भ उल्लेखित भी किया है, उसको कितने दिन तक सर कंधे पर चढाके रखना है???

K.

तथा योग नाम से हमारे यहा अन्य चार पारिभाषिक स्पष्टीकरण उपलब्ध है, ऐसी स्थिती मे योग दिवस के पीछे इतना उछल कूद, इतना प्रयास, इतना सेलिब्रेशन करना, कितना निष्पयोजन और दिशाहीन है?! ऐसे हर एक ने, एक शास्त्र अनुयायी के रूप में, एक बार तो, कम से कम, सोच के देखना चाहिए. 

L.

हॉलिस्टिक अप्रोच होना चाहिये, पेशंट को किसी भी तरह से ठीक करना है या पेशंट को कुछ भी करके ठीक करना है , इसलिये यथासंभव सारे उपाय मैं हि करूंगा ऐसा एक विचित्र अहंकार या अज्ञान कुछ लोगो मे पाया जाता है. होलिस्टिक का मतलब अगर सभी चीजों को आप ही इस्तेमाल करने वाले हो, तो यू विल नॉट बी अ स्पेशालिस्ट. You will be just a bunch rags. Just a गोधडी वाकळ. एक रेजगारी फुटेपराने चिंदी कपडे का बनाया हुआ बोरिया ढेर , इस तरह आपकी स्थिती होगी. स्पेशालिस्ट ऑफ नन अँड जॅक ऑफ ऑल , ऐसी आपकी दुरवस्था होगी. 

M.

इतना ही शौक है हॉलिस्टिक अप्रोच का, तो भाई मॉडर्न क्यू नही चलता है आपको?! मॉडर्न का मेडिसिन कहते ही हमे लगता है, कि इंटिग्रेटेड हो गया , आयुर्वेद अशुद्ध हो गया. मॉडर्न ने बनाया हुआ चष्मा चलता है, लेकिन मॉडर्न मेडिसिन का ड्रग हमे नही चलता है. अगर कोई चोरीछिपे स्टिराॅइड दे, तो हम उसको कितने दूषण देंगे?! उसको दोषी ठहरायेंगे. किंतु हमारे शास्त्र से दूर दूर तक कोई संबंध नही है, ऐसे योग को हम सर पर लेके नाचेंगे, कितनी विसंगती है, कितनी हास्यास्पद स्थिति है ?

N.

कुछ लोग समर्थन करेंगे की हमारे सिलॅबस मे योग लिखा है, इसलिये हम उसका उपयोग करते है. अरे भाई, आपकी सिलॅबस मे दूध डेअरी भी लिखी है, जल शुद्धीकरण मी लिखा है, तो क्या आप डेअरी लगाओगे, दूध बेचोगे, वॉटर फिल्टरेशन के इन्स्ट्रुमेंट बेचोगे? 

O.

... तो कभी तो अपने शास्त्र की कट्टर अनुयायी के रूप में कुछ विचार करने का प्रयास करके तो देखिये तो सही, एक संभावना के रूप मे ... !!!

P.

भीड जा रही है , पॉप्युलरिटी है, बहुसंख्य लोक उसका पीछा कर रहे है; इसलिये वह बात सही योग्य उचित होगी ऐसे नही है ना ???

Q.

वैसेभी हमने होलिस्टिक के नाम पर नाडी को, रसशास्त्र को हमारे गले बांध लिया है. अभी योग को भी हमारे कंधे पर सिर पर लेकर नाचना चाहते है !?

R.

एन सी आय एस एम ncism के वेबसाईट पर आपको अब आयुष aYush नही मिलता है, उन लोगो ने भी योग को हटा दिया है, वहा वाय Y नही है. अभी आप एनसीआयएसएम की ऑफिशियल वेबसाईट देखेंगे, तो उसमे नई टर्मिनोलॉजी आई है AUS&SR करके, योग को Y को डिलीट किया है , हटा दिया है... 


तो ऐसी स्थिती मे योग के पीछे कितना कबतक क्यूं भागना है, उसको एक बार निर्धारित कीजिएगा, यह नम्र निवेदन🙏🏼

www.MhetreAyurveda.com 

www.YouTube.com/MhetreAyurved/

MhetreAyurveda@gmail.com

3 comments:

  1. माननीय,
    सा'दर प्रणाम!
    आभार!

    आपके विचार न केवल सत्य अपितु क्रांतिकारी भी हैं। आप के विचारों को, शास्त्र सम्मत (सु) तर्क को पढ़ना , उनसे सहमत होना हमारा सौभाग्य हैं।

    धन्यवाद 🙏🏻

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