Sunday, 17 November 2024

पुणे शहर के आसपास आयुर्वेद के प्रणेता ऋषियों से संबंधित अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल : धानोरी चऱ्होली वाघोली पुनावळे सूस सासवड

पुणे शहर के आसपास आयुर्वेद के प्रणेता ऋषियों से संबंधित अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल : धानोरी चऱ्होली वाघोली पुनावळे सूस सासवड


भारत मे तथा महाराष्ट्र मे कई जगह पर ये स्थल रामायणकाल से तथा पांडवकालीन से संबंधित है, ऐसी आख्यायिकाये बतायी जाती है


उसी प्रकार से आज संपूर्ण भारत मे जहां पर आयुर्वेद प्रॅक्टिशनर वैद्य, सर्वाधिक संख्या में उपस्थित है, और सर्वाधिक संख्या मे आयुर्वेद कॉलेज भी यहा पर है, उस पुण्यनगरी पुण्यपत्तन ऐसे "पुणे" महानगर के आसपास, आयुर्वेद के प्रणेता ऋषियों से संबंधित महत्वपूर्ण स्थल प्राप्त होते है ... या यूं कहिये की इन आयुर्वेद प्रणेता ऋषियों के प्राचीन काल मे हुए सहवास के कारण ही आज पुणे मे भारत की सर्वाधिक वैद्य संख्या उपस्थित है तथा आयुर्वेद प्रणेता ऋषियों के आशीर्वाद के प्रभाव से हि सर्वाधिक आयुर्वेद कॉलेज इसी पुणे महानगर मे है


धानोरी : यह स्थान श्री धन्वंतरी से संबंधित है धन्वंतरी इस शब्द मे से ध न र और ओ से व असे चार अक्षर धानोरी शब्द मे प्राप्त होते है, इस कारण से धन्वंतरी से संबंधित यह धानोरी स्थळ पुण्य पावन है. 

संभवतः यही श्री भगवान धन्वंतरी का देहत्याग स्थल है. यद्यपि श्री भगवान धन्वंतरी, यह अमृत कलश लेकर , विष्णू के अंशावतार के रूप मे , क्षीरसागर से 14 रत्नो मे से एक रत्न के रूप मे , आविर्भूत हुए थे, इस कारण से वह स्वयं देव है और उनके हाथ मे ही अमृत है, इसलिये वे तो स्वयं अमर है तथापि यह धानोरी स्थान धन्वंतरी का देहत्याग स्थल मानना हि चाहिये, क्योंकि दूसरे धन्वंतरी काशीराज दिवोदास संभवतः यहां पर अपना देह त्याग करने के लिए आये होंगे. 

यद्यपि वर्तमान काल मे कुछ लोग गुजरात के धनेज को, धन्वंतरी शब्द से साम्य रखने के कारण, उसको देहत्याग स्थल मानते है. 

किंतु धानोरी इस शब्द मे धन्वंतरी शब्द से साम्य रखने वाले अक्षरों की संख्या धनेज की तुलना मे अधिक है. 

इसलिये धानोरी ही धन्वंतरी का देह त्याग स्थल है, इसकी पुष्टी करने के लिए, उचित रिसर्च = संशोधन करना आवश्यक है और उसकी हम जोर से मांग करते है पुरस्कार करते है

चऱ्होली : यह स्थान श्री चरक से संबंधित है और संभवतः यह चरक का निवासस्थान यहां रहा होगा, जहां पर वे प्रतिदिन त्रिकाल संध्या होम हवन ऐसे यहां के अग्निकुंड मे करते रहे होंगे या फिर चरक के पार्थिव देह पर यही पर अंतिम संस्कार हुआ होगा, क्योंकि होली यह शब्द अग्नि को प्रदर्शित करता है और चरक मे होलाक यह अग्निस्वेद का प्रकार उल्लेखित है. तो चर से चरक और होली से उसके देह का अंतिम संस्कार ... इस तरह से चर char + होली holi , ये दो शब्द मिलकर ... चऱ्होली charholi


वाघोली : यह स्थान श्री वाग्भट से संबंधित है और संभवतः यह वाग्भट का निवासस्थान यहां रहा होगा, जहां पर वे प्रतिदिन त्रिकाल संध्या होम हवन ऐसे यहां के अग्निकुंड मे करते रहे होंगे या फिर वाग्भट के पार्थिव देह पर यहीं पर अंतिम संस्कार हुआ होगा, क्योंकि होली यह शब्द अग्नी को प्रदर्शित करता है और चरक मे होलाक यह अग्निस्वेद का प्रकार उल्लेखित है. तो वाग से वाग्भट और होली से उसके देह का अंतिम संस्कार ... इस तरह से वाग vag + होली holi, ये दो शब्द मिलकर ... वाघोली vagholi


पुनावळे : यह स्थान श्री पुनर्वसु आत्रेय से संबंधित है, पुनर्वसु शब्द मे से पु न & व असे तीन अक्षर पुनावळे इस शब्द मे प्राप्त होते है

सूस : यह स्थान श्री सुश्रुत से संबंधित है. सुश्रुत शब्द मे से सु और श इनसे साम्य होने वाले सु & स, ये दो अक्षर सूस इस शब्द मे प्राप्त होते है

वैसे थोडे अदूरांतर से सासवड यह स्थान भी सुश्रुत से संबंधित हो सकता है, क्यू कि इसमे भी सु & श से साम्य होने वाले सा & स , ये दो अक्षर प्राप्त होते है

इस प्रकार पुणे शहर के आसपास ऐसे चार या पाच स्थान, आयुर्वेद प्रणेता ऋषियों से अत्यंत निकटता साम्य सानिध्य सहवास ऐसे संबंधित होने की अत्याधिक संभावना है. इन्ही पुण्यात्माओं के सहवास तथा आशीर्वाद के कारण, आज पुणे शहर मे भारत के सर्वाधिक वैद्य आयुर्वेद की यशस्वी प्रॅक्टिस करते है तथा सर्वाधिक संख्या मे आयुर्वेद कॉलेज भी यहीं पर है

इसी कारण से पुणे शहर का वैद्य होने के नाते, हम सभी वैद्यों की ओर से यह प्रार्थना करते है, कि उपरोक्त इन चार-पाच स्थानों पर ...

1.

संहिता अध्ययन स्वरूप ॲकॅडमिक टुरिझम के लिए एक एक बडा हॉल स्थापित करे तथा वहा पर अंशकालीन अल्पकालीन संहिता पठण के लिये आनेवाले गुरुजन और विद्यार्थी गण के रहने व खाने के लिए 100 लोगों की व्यवस्था का प्रबंध करे

2.

एक एक नया आयुर्वेद कॉलेज जिसमे 100-100 सीट की अनुमती हो तथा 

3.

एक एक मोनो फॅकल्टी आयुर्वेद युनिव्हर्सिटी तथा 

4.

एक एक AIIA सेंटर तथा 

5.

सीसीआरएएस का एक एक युनिट तथा 

6.

आयुर्वेद औषधी निर्मिती की एक एक फार्मसी और 

7.

आयुष द्वारा आयुर्वेद का एक एक हॉस्पिटल, 

इन चार-पाच स्थानों पर उन सभी आयुर्वेद प्रणेता ऋषियों के स्मृति में, अत्यंत शीघ्रतम गति से स्थापित किये जाये. तभी इन चार या पाच स्थलों का उचित सन्मान होगा और आयुर्वेद के दिव्य विभूतियों का, प्रणेता ऋषियों का आशीर्वाद हमे निरंतर प्राप्त होता रहेगा.

जय आयुर्वेद जय भारत

उपरोक्त विषय के संदर्भ मे निम्नोक्त लिंक भी वाचनीय है

संहिताकार एवं टीकाकारों के जयंती स्मृतिदिन पुण्यतिथी जन्मस्थल देहत्यागस्थल , इनका संहिता और टीकाओं में स्पष्ट संदर्भ 👇🏼

https://mhetreayurved.blogspot.com/2024/11/blog-post_5.html

 ग्रे की जयंती, गायटन की पुण्यतिथी, हचीसन डेव्हिडसन के जन्मशताब्दी, हरीसन को श्रद्धांजली 👇🏼

https://mhetreayurved.blogspot.com/2024/11/blog-post_13.html

Disclaimer:

यह लेख व्यंगात्मक या अन्योक्ती शैली मे लिखा गया है. उपरोक्त लेख मे उल्लेखित विधान सत्य सार्थक नही है. किंतु कुछ अशास्त्रीय चीजों को केवल भावनिक आधार पर प्रसृत या प्रस्थापित करके, विद्यार्थी तथा वैद्यों का समय एनर्जी रिसोर्स धन, ये सब अकाल अस्थान अनावश्यक व्यय होता है, ऐसे वृत्ती को विरोध दर्शाने के लिए, यह प्रहसनात्मक लेख लिखा गया है.

वस्तुत , आयुर्वेद शास्त्र का / संहिताओं का किसी भी स्थान पर, किसी भी समय पर, अध्ययन करेंगे ... तो वह कल्याणप्रद ही होगा !!!

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