केश पतन पालित्य: निदान चिकित्सा दिग्दर्शन तथा उपयुक्त औषधी कल्प विकल्प
केश यह अनेक व्यक्तियों के लिए संवेदनशील तथा भावनिक बात होती है.
केशों का बालों का घटना गिरना टूटना श्वेत सफेद होना डँड्रफ होना पतला होना यह मुख्य चिंता के विषय होते है.
इसके आगे जाकर गंजापन टकला बाल्डनेस ये बात होती है
इन सभी केश विषयक समस्याओंका वय & आनुवंशिकता यह कारण अगर बाजू को रख दिया जाये तो ...केश की समस्याओंको प्रमुख दो भागो मे विभाजित कर सकते है
1.
एक, अस्थिसे संबंधित विकृतियों के कारण, जिसे हम प्रायः धातुक्षयजन्य स्थिती कहेंगे और
2.
दूसरा, उष्णता अग्नि पित्त रक्त / रस इनसे संबंधित समस्यायें
केशों की बालों की समस्याओं का निदान कारण हेतु:
1.
अम्लद्रव्य का निरंतर या अधिक प्रमाण मे सेवन
अम्ल खट्टे सोअर आहार द्रव्य का सेवन अस्थि को और केशों को क्षीण बलहीन बनाता है, इसमे मुख्य रूप से दही छास तक्र अचार पिकल्स टमाटर सॉस केचप संत्री मोसंबी अननस सफरचंद एप्पल केले (काटने पर जो काले पडते है ऐसे सभी फल) तथा कॉर्नफ्लॉवर & मैदे से बनी सारी बेकरी प्रॉडक्ट्स नूडल्स पास्ता पिझ्झा वडापाव समोसा पाणीपुरी गोल-गप्पे रगडा पॅटीस भेळ पावभाजी ...
तथा जमीन के नीचे उगने वाले सारे अन्नपदार्थ ... जैसे साबुदाणा बटाटा शक्करकंद रताळं बीट गाजर, स्टार्च अधिक होता है, ऐसे सारे पदार्थ
इसके साथ ही अत्यंत लोकप्रिय इडली, वडा, डोसा, आप्पे ये जो फर्मेंटेड आटे से बनाये जाने वाले पदार्थ है, ये भी उतने ही हानिकारक है ... क्यूकी अंततः ये भी शरीर मे जाकर अम्लता या अम्लपित्त को ही बढाते है
इसके साथ ही कुकर मे पकाये हुए अन्नपदार्थ ... शरीर मे अम्लता अम्लपित्त विदाह इनको बढाते है, इसलिये केशों की समस्या जिनको है, उन्होने कुकर मे पके हुए अन्नपदार्थ खाना वर्ज्य करना उपयोगी है.
चावल के दानों को तंडुल को शुद्ध देसी घर मे बने हुए (बाजार के रेडिमेड परचेस किये हुए नही) घी पर भून कर, इन चावल को ... एक कटोरी चावल के लिए एक चमचा जिरा और एक इंच अद्रक डालकर, खुले पात्र मे पकाना चाहिये और इसकी मांड पेज स्टार्च निकाल देना चाहिये और ऐसा खुले दानों वाला चावल खाना चाहिए.
कुकर मे पकाया हुआ चावल भात ओदन राईस वर्ज्य करना आवश्यक होता है, केशों की समस्या के लिये
लवण नमकीन द्रव्य का निरंतर या अधिक प्रमाण में सेवन
इसमे बाजार मे मिलने वाले सारे चाट, सारे नमकीन, फरसाण, चीज , बटर , सभी बेकरी प्रॉडक्ट , पॅक्ड हवाबंद प्रिझर्वेटिव्ह डाले हुए केमिकल डाले हुए तले हुए चिप्स जैसे पदार्थ, तथा अजिनोमोटो जैसे हानिकारक लवणवाले चायनीज पदार्थ ... इनका समावेश होता है
उष्ण विदाही तीक्ष्ण मसालेदार स्पायसी चटपटे ऐसे पदार्थों का निरंतर या अधिक प्रमाणमें सेवन
इसमे सभी स्ट्रीट फूड, जंक फूड, फास्ट फूड, ग्रेव्ही वाले, हॉटेल के, ऑनलाइन फूड, चाट के पदार्थों का समावेश होता है ... इसमे वडापाव पावभाजी नॉनव्हेज शेजवान सभी प्रकार के चाट, इनका भी समावेश होता है
तंबाखू तथा मद्य इनका निरंतर अधिक प्रमाण मे सेवन
तंबाखू तथा मद्य ये अत्यंत उष्ण तीक्ष्ण रूक्ष कटु ऐसे होने के कारण , अस्थि और केश इनका बलक्षय होता है तथा उष्णता पित्त रक्त अग्नि इनका वर्धन करते है
ये कुछ मुख्य आहारीय कारण इन समस्या के लिए होते है
आहार के परे ...
धूप मे घूमना, सिरको ढके बिना, सिर/ मस्तक पर कुछ भी शिरस्त्राण शिरोआवरण वस्त्र धारण किये बिना, ट्रॅफिक मे धूल धूर इनमे दिनभर घूमना, बालों को खुला छोडना (विशेषतः स्त्रियों के संदर्भ मे) , यह भी केशों के बालों के समस्याओं का एक प्रमुख और अपरिचित दुर्लक्षित नॉन कन्सिडर्ड कारण है
तिसरा ...
बालों को अच्छा रखने के धुन मे, केमिकल पदार्थों का शाम्पू कंडिशनर साबुन इनका अधिक मात्रा मे वारंवार प्रयोग करना, बालों को रंगने के लिये केमिकल डाय का या तथाकथित हर्बल डाय का बार बार उपयोग करना.
जिस भी चीज का झाग फेन फोम spume होता है किसने स्टेरिक ऍसिड होता है तथा साबुन जैसे सभी पदार्थ मे क्षार या सोडियम कभी समावेश होता है ... ये दोनो ऍसिड और सोडियम ये बालों के लिए हानिकारक होते है
इसके पश्चात , जिससे शरीर मे उष्णता अग्नि पित्त रक्त इनकी वृद्धी दुष्टी वैगुण्य, तथा/या (&/or) शरीर मे रूक्षता बढे, ऐसे विचार भावना बौद्धिक आचरण, यह भी इसका कारण है , जिसमे चिंता शोक भय नैराश्य वैफल्य विषाद डिप्रेशन फ्रस्ट्रेशन फियर असूया ईर्ष्या जेलसी कॉम्पिटिशन कम्पॅरिझन तुलना इनका समावेश होता है
और सबसे अंत मे ...
देर रात तक जागना या निद्रा का हीनयोग या अभाव या अल्पता या निद्रा खंडित होना या निद्रा देर विलंब से आना या कुल मिलाकर सात घंटे से कम निद्रा लेना
ये केशों के बालों के इन समस्याओं के ...
आहारात्मक, विहारात्मक और वैचारिक कारण है
चिकित्सा दिग्दर्शन
1.
इसमे सर्वप्रथम अस्थि दुष्टी वैगुण्य क्षय तथा धातुक्षयजन्य कारणों का विचार करे ...
तो दुग्ध घृत, यष्टी लाक्षा इनका प्रयोग अपान काल अर्थात प्रागभक्त भोजनपूर्व करना अत्यंत उपयोगी है
भग्न अधिकार मे इन तीनो चारो द्रव्यों का उल्लेख और उपयोग प्राधान्य से उल्लेखित है
साथ ही लशुन रसोन गार्लिक, जो कटू उष्ण तीक्ष्ण होने पर भी, स्निग्ध केश्य वृष्य (= पुनरुत्पादक) और भग्नसंधानकारी है ... इसका क्षीरपाक, अस्थिक्षय तथा केशपतन केशक्षय इनमे उपयोगी लाभदायक सिद्ध होता है
अम्लपदार्थ सेवन यह यदि निदान हो केश पतन के कारण हो तो ...
अम्ल के विपरीत तिक्त रस है ... इसलिये पंचतिक्त क्षीरपाक या पंचतिक्त कल्प अर्थात शर्करा ग्रॅन्यूल्स एवम गुडूची कल्प, यष्टी गुडूची कल्प अर्थात शर्करा ग्रॅन्यूल्स ... इनका दुग्ध और घृत के साथ, अपानकाल मे या सूर्योदय सूर्यास्त स्वप्न काल मे, प्रयोग करना लाभदायक होता है
यदि लवणरस यह मुख्य निदान है , तो लवण रसके विपरीत कषायरस होता है, इस कारण से खदिर हरीतकी बिभीतकी पंचक्षीरी वृक्ष का कल्प अर्थात ग्रॅन्युल्स तथा ... खर्जूर = खारीक इनका प्रयोग अपेक्षित परिणामदायक होता है
निद्रा का अल्पता अभाव जागरण खंडित निद्रा विलंबित निद्रा, धूप मे घूमना, धूर धूल ट्रॅफिक मे सर को ढके बिना (uncovered / unwrapped) घूमना, शाम्पू साबुन कंडिशनर कलरिंग डाय इनका प्रयोग करना तथा शोक भय इत्यादि वैचारिक बौद्धिक भावनिक ऐसे कारण हो तो ... ये सारे कारण प्रायः उष्ण अग्नि रक्त पित्त इनकी दुष्टी विकृती वैगुण्य वृद्धी करने वाले होने के कारण, ऐसा निदान जब केशों की समस्याओं के लिए हो, तब घृतनस्य क्षीरनस्य , यष्टी सारिवा सप्तधा बलाधान टॅबलेट , यष्टी काश्मरी कल्प शतावरी गोक्षुर शर्करा कल्प ग्रॅन्युल्स, कूष्मांड कल्प ग्रॅन्युल्स , दूर्वा कल्प ग्रॅन्युल्स, यष्टी लाक्षा टॅबलेट इनका प्रयोग अपेक्षित लाभदायक परिणाम देता है.
यद्यपि रसायन चूर्ण नाम से अष्टांग हृदय उत्तर तंत्र रसायन अधिकार से, धात्री गोक्षुर गुडूची यह प्रसिद्ध है, जो केश्य माना जाता है, किंतु इसमे से धात्री अर्थात आमलकी यह अत्यंत रूक्ष होने के कारण से इसका प्रयोग उतना लाभदायक सिद्ध नही होता है .
साथ ही लाक्षादि गुग्गुल या प्रवाळ मुक्ता ऐसे सुधावर्ग का प्रयोग यह भी उतना कार्यकारी नही होता है.
उसकी तुलना मे यष्टी लाक्षा, यष्टी सारिवा, ये टॅबलेट्स तथा यष्टी गुडूची, केवल गुडूची, पंचतिक्त, शतावरी गोक्षुर, दूर्वा कूष्मांड इनके टॅबलेट तथा शर्करा कल्प ग्रॅन्युल्स, अपानकाल मे प्राग्भक्त = भोजनपूर्व कालमे या सूर्योदय सूर्यास्त स्वप्न काल में , क्षीर और घृत के साथ देना अधिक उपयोगी होता है.👍🏼✅️💪🏼
उष्णता रक्तपित्त अग्नि प्रधान कारणों से, भावनिक वैचारिक बौद्धिक कारण से या धूप धूल धूर ट्रॅफिक मे घुमना, खुले बाल रखकर, सिरको ढके बिना घूमना, इन कारणो से, जिनके केशों मे समस्या है, उन्होने रोज रात्री सोने से पहले नाक मे पॉईंट फाईव्ह एम एल (0.5ml) घृत = शुद्ध देसी घी (घर मे बनाया हुआ ✅️, मार्केट मे मिलने वाला रेडिमेड पर्चेस किया हुआ नही) छोडना चाहिए अर्थात प्रति रात्री निद्रा पूर्व घृतनस्य करना चाहिए ... घृत नस्यही करना चाहिए, तैल नस्य नही! इसके संदर्भ मे एक अलग सविस्तर लेख लिखा है, जिसकी लिंक आगे दी है
पित्तस्थान ✅️ (कफस्थान X) = शिर, तस्मात् घृतनस्य✅️ (तैलनस्य X), विना यंत्रणा नेत्रतर्पण तथा घृत पिचु @ कनीनक
https://mhetreayurved.blogspot.com/2024/09/blog-post_30.html
बाह्य प्रयोग के रूप मे बालों को धोने के लिए ... पारंपारिक रूप मे हप्ते मे 15 दिन मे या महिने मे एखाद बार शिकेकाई सप्तला सातला इसका प्रयोग ठीक है, किंतु यह द्रव्य अत्यंत रुक्ष है. इसलिये इसका प्रयोग महिने मे एक बार ही करे. वो भी अगर डँड्रफ है तो, प्रारंभिक काल में ही करे.
उसके पश्चात बाल केस या केशभूमी अर्थात स्काल्प धोने के लिए हप्ते मे एक या दो बार ... त्रिफला मुस्ता खदिर निंब ऐसे तिक्त कषाय शीत द्रव्यों के काढे का उपयोग करे ... किंतु इसके दाग कपडे पर पडते है, इसलिये केश बाल शिर इन द्रव्यों के काढे से धोते समय कपडों को दूर रखे.
इससे अच्छा है कि मसूर दाल चूर्ण / आटा (लेंटिल दाल फ्लोअर lentil daal flour) और दुग्ध, इनका मिश्रण बालों को, उनके मूल मे तथा केशभूमी को अर्थात स्काल्प मे लगाकर , उसको सूखने देना ... अपनी त्वचा को पकडेगा/जकडेगा, उस लेप पर क्रॅक्स आयेंगे, इतनी देर तक रखना और उसके बाद गुनगुने कोमट वाॅर्म ल्युकवाॅर्म पानी से , सिर को धोना चाहिये. मसूर दाल पिष्ट तथा दुग्ध ये दोनो स्निग्ध कषाय मृदु श्लक्ष्ण इस प्रकार के होने के कारण, अस्थि केश केशभूमी की त्वचा स्काल्प स्किन इनका रक्षण प्रसादन होता है एवं उष्ण रक्त पित्त अग्नि इनका शमन और प्रसादन होता है. ये दोनो द्रव्य प्रोटीन तथा कंडिशनिंग कथा स्निग्धता दृढता इनका लाभ देते है
इसी के समान यदि गाढे दधि से केश और केशभूमी स्काल्प इनका लेपन करे और 30 मिनिट के बाद, उसको धो दे तो , उसका भी इसी प्रकार से उपयोग होता है ...
दधि में दुगुना पानी डालकर, उसको ब्लेंडर से मथित करके, ओवर नाईट रातभर रखा जाये और सुबह जो गाढा भाग तल मे बॉटम मे है , उसको बालो मे केशभूमी मे स्काल्प मे लगाये और 30 मिनिट बाद जो उपर का सुपरनेटंट तक्रमस्तु है , उससे बाल केशभूमी स्काल्प सिर को धोए , तो ये भी अपेक्षित लाभदायक परिणाम देता है
बालो मे तेल लगाना आजकल आऊट ऑफ फॅशन हो गया है, लोगों को तेल लगाना चिपचिपा, पिछडे काल का लगता है.
डॅन्ड्रफ का होना यह केशभूमी की त्वचा का टूटना इतना ही है, जसे अकाल दुष्काळ ड्राॅट drought मे जमीन पर क्रॅक्स पडते है, वैसे केशभूमी की त्वचा मे क्रॅक्स पडने के कारण, उसके छोटे छोटे तुकडे, केशभूमी से अलग होकर दिखाई देते है डँड्रफ के रूप मे ...
और केशभूमी की त्वचा का टूटना, रूक्षता के कारण होता है, इसलिये इसमे उचित प्रकार से तेल लगाना आवश्यक है. वैसे तो ये पिछली पिढी की तरह प्रतिदिन लगाना चाहिए, लेकिन जिनको तेल से द्वेष है, वो कम से कम हप्ते मे दो या तीन बार, बालों को नही, अपितु बालों के मूल मे केशभूमी मे स्काल्प मे तेल लगाये.
केशभूमी स्काल्प के उपर जो बाल हमे दिखाई देते है, वे निर्जीव है. जैसे हम बढे हुए नाखून को काट देते है, तो उसमे कोई भी हानी नही होती है, क्यूंकी उसमें रक्त संचरण ब्लड सर्क्युलेशन नही होता है. इसी प्रकार से केशभूमी के उपर दिखाई देने वाला बाल केश, यह रक्तसंचारण ब्लड सर्क्युलेशन से विरहित है, इसलिये बालों को केशों को बाहर से कुछ भी लगाने से, जैसे टीव्ही ॲडवटाईज मे दिखाया जाता है, वैसे कुछ भी, वस्तुस्थिती में, नही होता है! केवल बालों के मूल मे शिरोभूमी मे स्काल्प मे, जहां हेअर फॉलिकल होते है, वहा पर तेल या अन्य औषधी द्रव्य का लेपन करने से, कुछ हद तक अल्प मर्यादा तक लाभ होता है ... जितना लाभ अभ्यंतर औषधी सेवन तथा आहार पथ्य पालन से होता है, उतना लाभ बालों को केशों को केशभूमी को स्काल्प को कुछ भी लगाने से नही होता है
केशभूमी शिर पर तिल तेल की बजाय यदि, कोकोनट ऑइल नारियल का तेल लगाया जाये तो यह जादा अच्छा है.
लाक्षादि केर तैल अर्थात लाक्षादि के कंटेंट्स, नारियल के तेल मे सिद्ध किया हुआ तेल, इसका प्रयोग करे तो ये अधिक कार्यकारी होता है.
लाक्षादि केर तेल यह अन्नस्वरूप होने के कारण, दुग्ध और घृत के साथ अपान काल मे या सूर्योदय सूर्यास्त स्वप्न काल मे, लाक्षादि केर तेल का भी सेवन आभ्यंतर रूप मे किया जाये, तो यह भी अधिक लाभदायक सिद्ध होता है.
इन सभी आभ्यंतर बाह्य उपाय के साथ साथ , पहले बताये हुए कारण का हेतुओं का निदान का वर्जन करना परिहार करना avoid करना, यह भी आवश्यक है ...
और भोजन मे , जितना हो सके उतना , भोजन के प्रारंभ मे क्षीर घृत मधुर इनका प्रयोग करना आवश्यक है.
इतना करेंगे तो पुरुषो मे प्रायः छ से बारा सप्ताह मे (उनकी केस समस्या की तीव्रता और क्रोनिसिटी इसकी अनुसार) अपेक्षित रिझल्ट आते है.
स्त्रियों में अपेक्षित रिझल्ट आने के लिए, दो या चार मेंसेस तक उपचार , आहार और विहार इनका पालन आवश्यक होता है
सारांश :
केश पतन, केशपालित्य , डँड्रफ आदि केश संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए ...
1
यष्टी लाक्षा टॅब्लेट
2
यष्टी सारिवा सप्तधा बलाधान टॅबलेट
तथा
3
पंचतिक्त
गुडूची
यष्टी गुडूची
यष्टी काश्मरी
शतावरी गोक्षुर
दूर्वा
कूष्मांड
ऐसे क्षीरपाक शर्कराकल्प Granules
एवं
4
घृत नस्य
तथा
5
अपान काल में प्राग्भक्त भोजनपूर्व क्षीर, घृत, लाक्षादि केर तैल ...
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