Tuesday, 11 February 2025

यकृत औष्ण्य : एक बहुपयोगी परीक्षण तथा वासागुडूच्यादि एवं भूनिंबादि

 यकृत औष्ण्य : एक बहुपयोगी परीक्षण तथा वासागुडूच्यादि एवं भूनिंबादि


वासागुडूच्यादि 👇🏼

वासागुडूचीत्रिफलाकट्वीभूनिम्बनिम्बजः। 

क्वाथः क्षौद्रयुतो हन्ति पाण्डुपित्तास्रकामलाः॥


भूनिंबादि 👇🏼

भूनिंब निंब त्रिफला पटोल वासा अमृता पर्पट मार्कवाणाम्



आदरणीय दातार शास्त्री द्वारा प्रसृत पांचभौतिक चिकित्सा पद्धती में उदर परीक्षण यह एक वैशिष्ट्यपूर्ण पद्धत है. इसमें नाभी आसमंत, यकृत & प्लीहा इनका स्पर्श देखा जाता है. इनमें से नाभी आसमंत की तुलना में यकृत का स्पर्श अधिक उष्ण हो तो, उस रुग्ण के शरीर में पित्त रक्त अग्नी इन से संबंधित निदान व लक्षणे मिलते है. यदि उस प्रकार के लक्षण उस समय उस पेशंट में ना उपलब्ध हो, तो भी भविष्य में पेशंट को उस प्रकार के लक्षण/ समस्या/ रोग होने की संभावना निश्चित रूप से रहती है. 

जिनको नजीक भूतकाळ मे कोई भी विशिष्ट ज्वर अल्पकालीन /दीर्घकालीन /तीव्रवेगी जसेटायफॉईड  मलेरिया, डेंग्यू चिकुनगुनिया UTI या फिर उस प्रकार के कोई पित्त रक्त उष्णताजन्य रोग जैसे कामला या लिव्हर संबंधित कोई इंफ्लामेशन इन्फेक्शन हुए हो, तो ऐसे पेशंट मे इस प्रकार का यकृत औष्ण्य प्रतीत होता है.

जैसे हचिसन मे बताया है, वैसे पेशंट को नॉर्मल सुपाईन पोझिशन मे लेट कर/ लिटा कर , अपने दाहीने right हाथ की हथेली से राईट हॅन्ड palm से नाभी का स्पर्श करे, इस स्पर्श की तुलना मे राईट हायपोकॉन्ड्रीएक रीजन अर्थात दक्षिण स्तन के नीचे, लिव्हर के उपर जो पर्शुकाये है रिब्ज है, वहा पर वही पाम = हस्ततल रखे, नाभी की तुलना मे यहा यकृत का स्पर्श अगर उष्ण प्रतीत हो तो, इस पेशंट मे पित्त रक्त उष्णता संबंधित या तो ...

1. निदानों का सेवन है या 

2. तज्जन्य लक्षणोंका प्रादुर्भाव है या 

3. ऐसे लक्षण का उद्भव होने की संभावना है ... ऐसे जाने.

ऐसे लक्षण बहुत ब्रॉडस्पेक्टर मे होते है जैसे की ...

शिरःशूल जिसे मायग्रेन या शंख-शूल के रूप मे देखा जा सकता है ...

साथ में छर्दि के बाद इस से शिरःशूल का उपशम होना , गलदाह , उरोदाह , उदर दाह. कटु तिक्त अम्ल उद्गार  अम्लपित्त , ॲसिडिटी, गॅस्ट्रायटिस, गॅस्ट्रिक अल्सर, पेप्टिक अल्सर , डीओडीनायटिस , कोलाइटिस , हेमरॅजिक कोलाइटिस, परिकर्तिका, भगंदर, सरक्त अर्श, मलावरोध, ऐसे महास्रोतस् से संबंधित लक्षण पेशंट मे हो सकते है ...

इसी के साथ हस्तपाददाह, गुददाह, मूत्र दाह, नेत्रदाह या आरक्तता ऐसे भी लक्षण मिलते है

सरकता मलप्रवृत्तीसरक्तमूत्रता अति रजःस्राव दीर्घकालीरजःस्राव डी यु बी स्पॉटिंग ऐसे भी लक्षण इसमे प्राप्त होते है 

इसी के साथ अनिद्रा संतापी स्वभाव चिडचिडापन इरिटेबिलिटी अति संवेदनशीलता हायपरसेंटिव्हिटी रॅश विस्फोट मुखदूषिका युवानपिडका तारुण्यपिटीका ॲक्ने पालित्य केशपतन डॅन्ड्रफ टॉन्सिलायटिस ओटायटिस नासागत रक्तपित्त अर्थात एपीस्टॅक्सिस मुखपाक स्टोमॅटायटिस विसर्प हर्पिस त्वचारोग फंगल इन्फेक्शन ऐसे भी लक्षण इसमे प्राप्त होते है

या फिर जागरण उपवास निद्रा का अभाव अनिद्रा अति कटू सेवन आतपसेवन कलहप्रियता झगडाळू स्वभाव इंट्रोव्हर्ट स्वभाव अति महत्वाकांक्षा स्ट्रेस प्रक्षोभ इरिटेशन प्रेशर डेडलाईन हेस्ट घाई गडबड जल्दी हरी वरी फ्रस्ट्रेशन नैराश्य डिप्रेशन अवसाद सुपेरीयोरिटी कॉम्प्लेक्स इन्फिरिऑटी कॉम्प्लेक्स भयगंड न्यूनगंड अतिगंड शोक भय द्वेष ईर्ष्या मत्सर असूया जेलसी स्पर्धा फोमो हार का भय है ऐसे निदान का भी प्रभाव यकृत औष्ण्य के रूप मे प्रतीत होता है 

.. तो यकृत औष्ण्य एक बहुउपयोगी परीक्षण है, जो आपको उपस्थित या संभाव्य निदान या लक्षण इनका दिग्दर्शन करता है ... साथ ही अगर यकृत स्थान पर राईट हायपोकॉनड्रिक एरिया पर पर्कजन करे तो आकाशीय या नॉन सॉलिड = हॉलो इस प्रकार के नाद आवाज साऊंड आते है, ऐसे रुग्ण मे बुद्धी विचार भावना विषयक अतियोग हीनयोग या मिथ्यायोग होते है या सम्यक योग नही होता है (थिंकिंग इमोशन अँड इंटेलेक्चुअल लेव्हलपर हायपो/हाइपर या अब्युज इस प्रकार का संभावना होता है) 

ऐसे सभी पेशंट मे फलत्रिकादी या फ इनका प्रयोग दातार शास्त्री के पांचभौतिक चिकित्सा मे बताया जाता है 

किंतु फ या फलत्रिकादि गुग्गुल के रूप मे प्रयोग करना यह उतना उचित नही, क्योंकि गुगुल स्वयं उष्ण लेखन रूक्ष कषाय कटु तिक्त इस प्रकार का अपतर्पण द्रव्य है 

और तो और जितना गुग्गुल युक्त टॅबलेट/पिल्स भारत में फार्मसी द्वारा निर्मित होता है, उतना गुग्गुल निर्माण होना तो पूरे विश्व मे भी संभव नही है. 

इस कारण से प्रायः अनेक फार्मर्सियों को अपनी सभी टॅबलेट या पिल्स एक समान युनिफॉर्म लगे दिखे , इसलिये उसमे चारकोल और गम अकेशिया बबूल के निर्यास का प्रयोग करना पडता है. इस कारण से, गुग्गुल के बजाय गम अकॅशिया और चारकोल की बजाय, यह अच्छा है कि फलत्रिकादी जो मूल स्वरूप मे वाग्भट और चरक संहिता मे वासागुडूच्यादि इस रूप मे पांडु चिकित्सा में उल्लेखित है इन 6/8 द्रव्यों के योग का सप्तधा बलाधान टॅब्लेट बनाकर उसका प्रयोग करे

वह्निसाध्यवटीनिर्माणविधिः 

लेहवत्साध्यतेवह्नौ गुडो वा शर्करा तथा 

गुग्गुलुर्वाक्षिपेत्तत्र चूर्णं तन्निर्मिता वटी 


अवह्निसाध्यवटीनिर्माणविधिः 

कुर्यादवह्निसिद्धेन क्वचिद् गुग्गुलुना वटीम् 

द्रवेण मधुना वाऽपि गुटिकां कारयेद् बुधः


वटिकायां गुडशर्करामाननिर्णयः 

सिता चतुर्गुणा देया वटीषु द्विगुणो गुडः 

चूर्णाच्चूर्णसमः कार्योगुग्गुलुर्मधु तत्समम् 

द्रवं च द्विगुणं देयं मोदकेषु भिषग्वरैः

गुटी वटी निर्माण मे, केवल चूर्ण से ... या चूर्ण मे उसी चूर्ण की द्रव्य से अर्थात भावना से अर्थात क्वाथ से गुटी वटी बनाई जा सकती है, ऐसे शारंगधर मध्यमखंड अध्याय लिखा है

इस कारण से फलत्रिकादि या वासागुडूच्यादि बनाते समय , उसी के चूर्ण को , उसी के क्वाथ की सात भावना देकर सप्तधा बलाधान टॅबलेट प्रयोग मे लाना, अधिक उपयोगी हे, निश्चित रूप से ✅️

फलत्रिकादि, जो मूल स्वरूप मे वासागुडूच्यादि योग है संहिताओं का... उसमे निम्न घटक द्रव्य है 

वासागुडूचीत्रिफलाकट्वीभूनिम्बनिम्बजः। 

अगर ठीक से देखा जाये, तो ये घटक द्रव्य कल्पशेखर भूनिंबादि से मिलते जुलते है, दो तीन द्रद्रव्यों को अगर इसमे जोड दिया जाये / निकाल जा निकाल दिया जाये, तो भूनिंबादि और वासागुडूच्यादि मिलकर एक नया रक्तप्रसादक पित्तशामक अग्नि संतुलक योग बन सकता है ... कल्पशेखर भूनिंबादि के संदर्भ मे हमने विस्तृत संभावनाये उजागर करने वाला लेख पहले ही प्रसृत किया है, जिसकी लिंक नीचे दी हुई है 

✍🏼 कल्प'शेखर' भूनिंबादि एवं शाखाकोष्ठगति, छर्दि वेग रोध तथा ॲलर्जी

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https://mhetreayurved.blogspot.com/2023/12/blog-post.html

तो अगर दोनो योगों के घटक द्रव्य देखे जाये तो

वासागुडूचीत्रिफलाकट्वीभूनिम्बनिम्बजः। 

क्वाथः क्षौद्रयुतो हन्ति पाण्डुपित्तास्रकामलाः॥

&

भूनिंब निंब त्रिफला पटोल वासाऽमृता पर्पट मार्कवाणाम् 

क्वाथः क्षौद्र युतो हन्त्यम्लपित्तम्

वासागुडूच्यादि मे पटोल पर्पट मार्कव समावेश नही है , और

  भूनिंबादि मे कटुकी का समावेश नाही

तो केवल भूनिंबादि क्वाथ में कटुकी का समावेश किया जाय तो एक उत्तम कल्पशेखर भूनिंबादि प्राप्त हो सकता है ... जो अत्यंत ब्रॉडस्पेक्ट्रम मे पित्त रक्त अग्नि जन्य लक्षणे व तत्समान निदान सेवन जन्य रोग में उपयोगी होता है 


कल्पशेखर भूनिंबादि 👇🏼


वासागुडूच्यादि 👇🏼



अभी तो वासागुडूच्यादि और भूनिंबादि ये दोनो टॅबलेट मूल रूप मे सप्तधा बलाधान विधी से निर्मित करके म्हेत्रेआयुर्वेद MhetreAyurved द्वारा, वैद्य सन्मित्र के लिए उपलब्ध की गई है ✅️

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Articles about a few medicines that we manufacture

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पूर्वप्रकाशित 

अन्य लेखों की 

ऑनलाईन लिंक👇🏼


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वचाहरिद्रादि गण सप्तधा बलाधान टॅबलेट : डायबेटिस टाईप टू तथा अन्य भी संतर्पणजन्य रोगों का सर्वार्थसिद्धिसाधक सर्वोत्तम औषध


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कल्प'शेखर' भूनिंबादि एवं शाखाकोष्ठगति, छर्दि वेग रोध तथा ॲलर्जी

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वेदनाशामक आयुर्वेदीय पेन रिलिव्हर टॅबलेट : झटपट रिझल्ट, इन्स्टंट परिणाम

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स्थौल्यहर आद्ययोग : यही स्थूलस्य भेषजम् : त्रिफळा अभया मुस्ता गुडूची

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क्षीरपाक बनाने की विधि से छुटकारा, अगर शर्करा कल्प को स्वीकारा

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ऑलिगो एस्थिनो स्पर्मिया oligo astheno spermia और द्रुत विलंबित गो सप्तधा बलाधान टॅबलेट

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