Tuesday, 24 September 2024

सुश्रुतोक्त विषमज्वर कषायपंचक (धातुपाचक X) और पंच कफस्थान : सुनिश्चित संबंध

सुश्रुतोक्त विषमज्वर कषायपंचक धातुपाचक और पंच कफस्थान : सुनिश्चित संबंध

लेखक : वैद्य हृषीकेश बाळकृष्ण म्हेत्रे 9422016871

कुछ ना कुछ तो रोज "बेचते" ही है 

चलो आज साथ में साथ मिलकर कुछ "सोचते" भी है


विषमज्वरों का संबंध धातुओं से न होकर,

पंच कफस्थानों के साथ हि सुनिश्चित है ✅️


ये मै नही कहता, किताबों में लिखा है, यारो ...


चरकोक्त विषमज्वर कषाय पंचक का किसी भी धातू के साथ निश्चित संबंध नही है, यह हमने विगत दो लेखों मे स्पष्ट कर दिया है ... *चरक संहिता के ही संदर्भों के अनुसार!

चरक के विषमज्वर यह धातु मे दोष का प्राबल्य इस संकल्पना पर आधारित है.


इस कारण से संततादी पाच ज्वरों का निश्चित धातु अधिष्ठान वहां पर निर्धारित हि नही है

चरक की निम्नोक्त पंक्तिया देखेंगे, तो ये पता चलता है कि कौन सा भी विषमज्वर, किसी भी धातु मे आश्रित होकर निर्माण हो सकता है.

रक्तधात्वाश्रयः प्रायो दोषः सततकं ज्वरम् 

रक्त = सतत ✅️

अन्येद्युष्कं ज्वरं दोषो रुद्ध्वा मेदोवहाः सिराः ॥

अन्येद्युष्क = मेदस् 🤔 मांस

दोषोऽस्थिमज्जगः कुर्यात्तृतीयकचतुर्थकौ 

तृतीयक = अस्थिमज्जा 🤔 मेदस् 

अन्येद्युष्कं ज्वरं कुर्यादपि संश्रित्य शोणितम् ॥

अन्येद्युष्क = रक्त 🙃😇🤔 मांस

मांसस्रोतांस्यनुगतो जनयेत्तु तृतीयकम् ।

तृतीयक = मांस 🤔 मेदस

संश्रितो मेदसो मार्गं दोषश्चापि चतुर्थकम् 

चतुर्थक = मेदस् 🤔 अस्थिमज्जा 

और तो और चरक संहिता मे हि,

संततज्वर केवल रसधात्वाश्रित न होकर

(संतत = रस ❌️)

संतत द्वादशाश्रयी ज्वर है 

संतत = 12 = 7 धातू + 2 मल + 3 दोष

द्वादशाश्रयी का अर्थ केवल रसके साथ नही, अपितु द्वादश = 7 धातू 2 मल 3 दोषों के साथ जुडा है , ऐसे लेना चाहिए 

यथा धातूंस्तथा मूत्रं पुरीषं चानिलादयः ॥

द्वादशैते समुद्दिष्टाः सन्ततस्याश्रयास्तदा ।

द्वादशेति सप्त धातवस्त्रयो दोषा मूत्रं पुरीषं च।

उपरोक्त संदर्भ से यह पता चलता है की 5 विषमज्वरों का क्रमशः 5 धातुओं से "निश्चित संबंध" चरक संहिता मे उल्लेखित हि नहीं है. तो फिर अमुक धातू के लिए, अमुक धातू पाचक काढा ऐसे हो हि नही सकता, शास्त्रीय दृष्टी से शास्त्रीय संदर्भ के अनुसार तो! 

जो आज का व्यवहार चल रहा है , यह केवल एक कही सुनी, प्रस्थापित, रूढीजन्य, व्यावसायिक बात है और और इस विषमज्वर का, धातुपाचक का एवं शरीरस्थ धातूओं का कोई भी परस्पर निश्चित शास्त्रीय संबंध कुछ भी नही है

इस कारण से जो आज प्रस्थापित लोकप्रिय , 

*किंतु अशास्त्रीय* एवं _मात्र रूढीजन्य_ धातुपाचक(?) व्यवहार मे उपयोग मे लाये जाते है, उन धातुपाचकों का वस्तुतः शास्त्रीय रूप मे, उस उस धातु से कुछ भी निश्चित संबंध है ही नही ... 

✅️✅️✅️✅️✅️

किंतु सुश्रुत मे विषमज्वरो का संबंध धातु से जोडते हुये, पंच कफस्थानों से निश्चित रूप से जोडा है.

✅️✅️✅️✅️✅️

वह चरकोक्त विषमज्वर <~> धातु संबंध की तरह, अनिश्चित संदेहास्पद भ्रांतीजनक भ्रमकारक नही है. 

अपितु अमुक विषमज्वर का अमुक कफ स्थान से *सुनिश्चित निर्धारित संबंध* सुश्रुत संहिता मे प्रतिपादित और प्रस्थापित है ✅️✍️🏼👌🏼

इस कारण से विषमज्वरों के लिये सुश्रुत ने ,

पांच (5) द्रव्य के, 

तीन चार पाच (3,4,5) इस प्रकार से ... योग सुझाये है, जिनका परिचय वैद्यों के विचार के लिए तथा पेशंट पर उपयोग के लिए प्रस्तुत कर रहे है. 

जिन्हें इस विषय मे विश्वास जिज्ञासा उत्सुकता कुतूहल रुची स्वारस्य और ...

स्वयं कुछ यथार्थ तथ्य सत्य इन पर आधारित शास्त्रीय औषध योजना प्रामाणिक रूप मे करके देखने का साहस और इच्छा है वे इस उपक्रम मे सहभाग ले, ऐसा विनम्र आवाहन है 

सुश्रुत संहिता मे 

सतत रक्त X आमाशय 

अन्येद्युष्क मांस X उरस्

तृतीयक मेदस् X कंठ 

चतुर्थक अस्थिमज्जा X शिरस्

प्रलेपक (चरक मे उल्लेखित ही नही है) संधि 

और 

संतत रस X सभी 5 श्लेष्म स्थान 

से संबंधित है ...

तो बजाय धातु के, जिन्हें विकारों का निदान/निर्धारण, आशय के नुसार, स्थान के अनुसार करना संभव है ... उनके लिये इन स्थानों के, इन आशयों से संबंधित विकारों के लिए ...

निम्न पाच (5) कषाय सप्तधा बलाधान टॅबलेट के रूप मे प्रस्तुत तथा उपयोग के लिए उपलब्ध किये गये है


आमाशय : पटोलकटुकामुस्ता


उरस् : कटुकामुस्ताप्राणदा (प्राणदा = हरीतकी)


कण्ठ : मुस्ताप्राणदामधुक (मधुक = यष्टी)


शिरस् : पटोलकटुकामुस्ताप्राणदा


संधि : कटुकामुस्ताप्राणदामधुक


सर्व (5) कफ स्थान : पटोलकटुकामुस्ताप्राणदामधुक


यह प्राथमिक स्वरूप का विचार वैद्यों के परिचय मात्र के लिए प्रस्तुत किया है 


वैसे तो सुश्रुतोक्त पाच द्रव्यों के, 

तीन चार पाच के संयोग से, 

16 योग बनते है ... 

ऐसे डह्लण टीकामे सविस्तर प्रस्तुत किया हुआ है , 

जिन्हें अधिक जिज्ञासा है , वे उस अधिक जानकारी के लिए वहां पर देखे.


उन सभी सोला संभाव्य कषाय योगोंका भी अध्ययन और प्रयोजन/ उपयोजन, आगे के लेखों मे प्रस्तुत करेंगे ... सद्भिषजां नियोगात् ... यदि संभाव्यते !!!

🙏🏼

सर्वाधिकार सुरक्षित all rights reserved

Copyright कॉपीराइट ©वैद्य हृषीकेश बाळकृष्ण म्हेत्रे. 

एम् डी आयुर्वेद, एम् ए संस्कृत.

आयुर्वेद क्लिनिक्स @पुणे & नाशिक.

9422016871

MhetreAyurved@gmail.com 

www.MhetreAyurveda.com www.YouTube.com/MhetreAyurved/

Articles about a few medicines that we manufacture

👇🏼

पूर्वप्रकाशित 

अन्य लेखों की 

ऑनलाईन लिंक👇🏼


✍🏼


The BOSS !! VachaaHaridraadi Gana 7dha Balaadhaana Tablets 

👇🏼

https://mhetreayurved.blogspot.com/2023/11/blog-post.html

👆🏼

वचाहरिद्रादि गण सप्तधा बलाधान टॅबलेट : डायबेटिस टाईप टू तथा अन्य भी संतर्पणजन्य रोगों का सर्वार्थसिद्धिसाधक सर्वोत्तम औषध


✍🏼


कल्प'शेखर' भूनिंबादि एवं शाखाकोष्ठगति, छर्दि वेग रोध तथा ॲलर्जी

👇🏼

https://mhetreayurved.blogspot.com/2023/12/blog-post.html


✍🏼


वेदनाशामक आयुर्वेदीय पेन रिलिव्हर टॅबलेट : झटपट रिझल्ट, इन्स्टंट परिणाम

👇🏼

https://mhetreayurved.blogspot.com/2023/10/blog-post.html


✍🏼


स्थौल्यहर आद्ययोग : यही स्थूलस्य भेषजम् : त्रिफळा अभया मुस्ता गुडूची

👇🏼

https://mhetreayurved.blogspot.com/2024/06/blog-post.html


✍🏼


क्षीरपाक बनाने की विधि से छुटकारा, अगर शर्करा कल्प को स्वीकारा

👇🏼

https://mhetreayurved.blogspot.com/2023/11/blog-post_25.html


✍🏼


ऑलिगो एस्थिनो स्पर्मिया oligo astheno spermia और द्रुत विलंबित गो सप्तधा बलाधान टॅबलेट

👇🏼

https://mhetreayurved.blogspot.com/2024/06/oligo-astheno-spermia.html


✍🏼

All articles on our MhetreAyurveda blog

👇🏼

https://mhetreayurved.blogspot.com/


वैद्य हृषीकेश म्हेत्रे

आयुर्वेद क्लिनिक्स @ पुणे & नाशिक 

9422016871 


www.YouTube.com/MhetreAyurved/


www.MhetreAyurveda.com



No comments:

Post a Comment