Monday, 24 November 2025

चरक संहिता के सभी 8 स्थानो का उचित नामांतरण

चरक संहिता के आठ (8) स्थानो का नाम तथा तद् अंतर्गत विषय वर्णन सुसंगत नही है

Picture credit Google Gemini AI 

स्वयं चरक ने सूत्रस्थान को श्लोकस्थान ऐसा पर्यायी नाम दिया है वह उचित ही/भी है क्यूंकि, सूत्रस्थान मे मूलभूत सिद्धांत एवं शास्त्र विषय के संक्षिप्त आरंभिक प्राथमिक परिचय के साथ साथ/अलावा/बजाय , अन्य स्थानों के भी कई विषयों का भी "सविस्तर" वर्णन होता है 


निदान इस "शब्द" का रोगज्ञान से किसी भी तरह से, कोई भी, सीधा संबंध नही है, ऐसा विजय रक्षित ने स्पष्ट किया है. Diagnosis शब्द की तरह निदान शब्द स्पष्ट रूप से रोग बोधक नही है. नि यह उपसर्ग और दान यह मूल शब्द या "दा" दीयते यह मूल धातु , इनका स्पष्ट संबंध रोगबोधन से या रोग उत्पादन से नही है. बहोत दूर दूर से जोडतोड करके जुगाड करके निदान शब्द का रोग बोधन से संबंध टीकाकार प्रस्थापित करते है. इसलिये निदान यह शास्त्रीय यौगिक इस प्रकार का शब्द न होकर यह केवल एक रूढ शब्द है

इसलिये उसका भी नामांतरण हेतु स्थान या व्याधिस्थान/रोगस्थान होना चाहिए, जो हमने पहले भी एक अन्य लेख मे लिखा है जिसकी लिंक आगे दी है

https://mhetreayurved.blogspot.com/2024/04/blog-post.html

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युगानरूप नवीन संहिता लेखन संकल्प और उसकी भूमिका तथा प्रतिपाद्य विषय एवं विषय विन्यास

विमान स्थान मे सारे इधर उधर के विषय है, पूर्व अध्याय में वर्णित विषय का आगे के अध्याय मे वर्णित विषय से कोई भी संबंध नही है 

इसलिये विद्यमान विमान स्थान का नाम तो विकीर्ण स्थान, विक्षिप्त स्थान या विस्कळीत स्थान होना चाहिए 

और विमान स्थान आठ अंतिम अध्याय में तो , इतने सारे विषय एक साथ जोड दिये है, की वह केवल एक अध्याय मात्र न होकर , एक स्वतंत्र स्थान है ऐसा लगता है, तो केवल विद्यमान चरक विमान स्थान अध्याय आठ , इस अकेले एक अध्याय का ही नाम खिलस्थान रखना चाहिए😇

शारीर स्थान मे शारीर कम और तत्त्वज्ञान अधिक, ऐसा होने के कारण इसको, अल्प शारीर , लघु शारीर , र्‍हस्व शारीर, अंश शारीर ऐसा नाम होना चाहिए 


इंद्रिय स्थान मे जिस विषय का वर्णन है , वैसे ही उस विषय का नाम = अरिष्ट स्थान ऐसे होना चाहिए 


चिकित्सा स्थान मे रोगों के हेतू और लक्षणों का भी वर्णन है , 90% से अधिक अध्यायों में , तो इसका नाम हेत्वौषध या व्याध्यौषध या रोगभेषज स्थान होना चाहिये 


कल्प स्थान = वमन विरेचन द्रव्य वर्णन स्थान 


सिद्धि स्थान का नाम पंचकर्म वर्णन स्थान ऐसे होना चाहिए 


यही उन स्थानों के विषय उनके अनुसार उचित नाम है


कृपया आप इस विषय पर समर्थन या खंडन के रूप मे अपना मत लिखे

3 comments:

  1. सर निदान स्थान का नाम रोग स्थान इसलिए भी तो हो सकता है क्योंकि इसमें केवल रोगों के निदान का ही वर्णन है।

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    1. रोगस्थान भी उचित नाम है जो हमने अन्य एक लेख मे पहले ही लिखा है

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  2. लेकिन आचार्य जी ने ऐसे ही नाम रखे क्यू ये भी तो विचारनिय है
    शायर पुराने नाम किसी खास कारण से हो?

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