डान्स & आयुर्वेद !!!
1.
भारत मे सुप्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम् कथक कथकली कुचीपुडी ये है.
2.
इससे भी थोडे अलग .. शास्त्रीय नृत्य तो नही ... अपितु लोकनृत्य कहा जाता है ऐसे कई नृत्य है इसमे भांगडा गरबा बीहू ... (कुछ लोग महाराष्ट्र का लोकनृत्य लावणी कहते है, लेकिन वो सत्य नही है ... वो लोक नृत्य न होकर किसी अन्य उद्देश्य से प्रस्तुत होने वाला नृत्य है)
3.
आज कल जो नये से आ गया है, जिसे बॉलीवूड डान्स कहा जाता है और उससे भी अलग अभी जो रियालिटी(?) शो में किया जाता है, जिसमे नृत्य की जगह, अनेक प्रकार के शारीरिक कसरत किये जाते है , जो नृत्य न होकर कुछ चित्र विचित्र पोझिशन्स होते है
4.
इन से भी अलग विवाह के समय ऐसे नृत्य होते है, जिसमे एक या दो हाथ दो पर उठाकर शरीर को लटके झटके दिये जाते है ...
5.
इन सबसे हीन, दारू पीकर, जमीन पर रेंगते हुए, एक नागिन डान्स भी किया जाता है, लोक उसे भी नृत्य समझते है.
6.
किंतु ...
a) गुणवत्ता ( = दर्जा क्वाॅलिटी) &
b) अभिरुची
इस प्रकार से ग्रेडेशन किया जाये ...
तो इसमे सबसे ऊपर भरतनाट्यम् कथक कथकली कुचीपुडी इतने ही नृत्य है
7.
जिसे dance कहा जाता है , ऐसे बाकी सारे या तो लोकनृत्य है ... वे कम से कम प्रेक्षणीय तो है, किंतु...
8.
आजकल के जो अत्यंत गलिच्छ हीन इस प्रकार के बॉलीवूड या रियालिटी शो में किये जाते है, वे तो गर्हणीय है, आक्षेपार्ह है
9.
विचित्र बात यह है, की सर्वसामान्य समाज इन सभी को नृत्य डान्स ही कहता / समझता है
10.
सीधा खडा रहना या सीधा चलना इसके अलावा, जो भी शरीर को लटके झटके दिये जाते है , उसको सामान्य तौर पर डान्स ही कहा जाता है
11.
किंतु वस्तुस्थिति में नृत्य तो मात्र शास्त्रीय नृत्य ही होता है या शास्त्रीय नृत्य को ही वह "प्रतिष्ठा" प्राप्त है
12.
ये बात अलग है कि "लोकप्रियता" की दृष्टि से लोकनृत्य और आज कल के बॉलीवूड या रियालिटी शोज के या शादी के समय रस्ते पर किया जाने वाला डान्स अधिक हो रहा है... क्योंकि वह लोकप्रिय तथा आसान है ... उसके लिए प्रशिक्षण या तपश्चर्या स्वरूप प्रयत्न की आवश्यकता नही होती है. ऐसे बाजारू सस्ते चीप डान्स कोई भी ऐरा गैरा कर सकता है
13.
"लोकप्रियता और शास्त्रीयता" इनमे महदंतर होता है .. भूमी से आकाश जितना अंतर होता है!
वैसेही ... coming to the point👇🏼
14.
आयुर्वेद के नाम पर लोक "कुछ भी" करते है, वे "जो भी" करते है, उसे आयुर्वेद "कहते है या समझते" है
15.
आयुर्वेद एक ऐसी गाय है ... आप उसके गोबर का व्यवहार करो या दूध का ... चमडी का करो या मांस का ... हरेक का कल्याण या आर्थिक फायदा तो होता ही है!!!
किंतु, इसमे से क्या नैतिक है / क्या नही है, ये सब को पता है
16.
वस्तुतः स्वरूप में नैतिक दृष्टी से योग्य आयुर्वेद आचरण वही है, जो आयुर्वेद की मूल संहिता ग्रंथो मे लिखे हुए "तत्त्वों के अनुसार" निदान = रोगनिश्चिती एवं उपचार = औषध निश्चिती करता है ...
तथा
... जो उपचार करने के लिए औषधी निर्माण या ग्रहण आयुर्वेद संहिता ग्रंथ मे लिखे हुए "भैषज्य कल्पना के तत्वों" के अनुसार ही करता है
✨️हम आयुर्वेद संहिता "ग्रंथ" के अनुसार ऐसा नही कह रहे है, आयुर्वेद संहिता "ग्रंथो मे लिखे हुए तत्वों" के अनुसार ऐसा कह रहे !✨️
17.
उपरोक्त विधी को छोडकर,
बाकी जो भी किया जाता है ...
वो आयुर्वेद के नाम पर दुर्व्यवहार है = अशास्त्रीय व्यवहार है , वस्तुतः देखा जाये तो त्याज्य = निषेधार्ह है
18.
... कोई इसे झट से मानेगा नही, इसलिये मैने पहले ही लिखा की नृत्य/डान्स तो "सभी" है, लेकिन जिसे अभिरुची या गुणवत्ता की दृष्टि से देखा जाये तो केवल प्रथम चार है : भरतनाट्य कथकली कथक और कुचिपुडी! ( यह स्टेटमेंट उदाहरण के लिए है, भारतीय संगीत नाटक ॲकॅडमी, 9 नृत्यों को शास्त्रीय नृत्य , अधिकृत रूप से मानती है )
19.
आयुर्वेद के मूल "संहिता ग्रंथो मे लिखे हुए *तत्वों के अनुसार*, अर्थात 'दोष रस गुण महाभूत' इन तत्त्वों के अनुसार", जिसका "निदान = हेतु + लक्षण का आकलन" किया जाये और आयुर्वेद के मूल संहिताओ मे निर्देशित "भैषज्य कल्पना के तत्वों के अनुसार" उस निदान के लिए योग्य प्रकार का "औषध उपयोजन" किया जाये, यही आयुर्वेद की "शास्त्रीय एवं अधिकृत तथा शुद्ध प्रॅक्टिस" है!!!
20.
बाकी , आयुर्वेद के "नाम पर", घुसेडकर मरोडकर जो "कुछ भी" किया जाता है ... वह व्यापार है, धंदा है, व्यवसाय है, दुकानदारी है, ट्रेडिंग है, बिजनेस है ...*शास्त्र नही है, शास्त्र की प्रॅक्टिस नहीं है*
21.
उसी प्रकार से आयुर्वेद के मूल संहिता ग्रंथो मे लिखे हुए भैषज्य कल्पना के तत्त्वों के अनुसार जो औषधी या उपचार नही है, वे भी आयुर्वेद की औषधियां नही है ... उसे आप "हर्बल मेडिसिन" कह सकते है , किंतु "आयुर्वेदीय औषध" *नही*!!!
22.
... इसमे सर्वप्रथम रसकल्प, नाडी परीक्षण, योगा, मंत्र , गर्भसंस्कार, विद्ध, अग्निकर्म ... (आयुर्वेद के कुछ ग्रंथो मे लिखा हुआ होने के बावजूद ... रक्त मोक्षण सिरावेध भी), तथा शिरोधारा(?) नही नही ... ललाट धारा , सर्वांग अभ्यंग अर्थात शास्त्र मे नही लिखा है ऐसा मालिश मसाज , सुवर्ण प्राशन , वर्म/ मर्म चिकित्सा , सौंदर्यशास्त्र केश चिकित्सा अर्थात गालों के और बालों के उपचार, कई तरह के स्थान बस्ति(?) जिसमे जानुबस्ति हृद्बस्ती मन्या बस्ति कटी बस्ति, शास्त्र के इंडिकेशन को छोडकर किया जाने वाला पंचकर्म = Showधन उपचार ... यद्यपि इन सभी उपचारों से पेशंट को "ठीक लगता है", तथापि ये सारे आयुर्वेद के नाम पर किये जाने वाले "धंदे है", शास्त्र नहीं !!!
23.
लोकप्रियता की दृष्टि से आप इसे आयुर्वेद "कहते/समझते/मानते" *जरूर* है ... लेकिन ये आयुर्वेद "नही है" यह प्रामाणिक नैतिक रूप से आपको भी ज्ञात है स्वीकार्य है मान्य है !!! ❌️🚫⛔️👎🏼
24.
... जैसे सीधे चलने से सीधे खडे रहने की बजाय ,
किसी भी प्रकार से आप अपने शरीर को लटके झटके दे देंगे तो उसे कुछ लोग नृत्य "कहते" है ... लेकिन नृत्य तो केवल अभिरुची और गुणवत्ता की दृष्टि से भरतनाट्यम् कथ्थक कथकली और कुचीपुडी इतने ही है!!!
25.
अर्थात यह मेरा वैयक्तिक मत है ...
आपको किसे नृत्य कहना है और किसे आयुर्वेद कहना है, ये आपका अपना मत !!!
किसी हट्टाग्रह की बात नही है ... लेकिन "सोचिये" अवश्य!!!
आयुर्वेद केवल "बेचने" की बात नही है ...
ये पेशंट के हित मे "सोचने" की भी बात है
Disclaimer/अस्वीकरण: लेखक यह नहीं दर्शाता है, कि इस गतिविधि में व्यक्त किए गए विचार हमेशा सही या अचूक होते हैं। चूँकि यह लेख एक व्यक्तिगत राय एवं समझ है, इसलिए संभव है कि इस लेख में कुछ कमियाँ, दोष एवं त्रुटियां हो सकती हैं। भाषा की दृष्टी से, इस लेखके अंत मे मराठी भाषा में लिखा हुआ/ लिखित डिस्क्लेमर ग्राह्य है
डिस्क्लेमर : या उपक्रमात व्यक्त होणारी मतं, ही सर्वथैव योग्य अचूक बरोबर निर्दोष आहेत असे लिहिणाऱ्याचे म्हणणे नाही. हे लेख म्हणजे वैयक्तिक मत आकलन समजूत असल्यामुळे, याच्यामध्ये काही उणीवा कमतरता दोष असणे शक्य आहे, ही संभावना मान्य व स्वीकार करूनच, हे लेख लिहिले जात आहेत.
Disclaimer: The author does not represent that the views expressed in this activity are always correct or infallible. Since this article is a personal opinion and understanding, it is possible that there may be some shortcomings, errors and defects in this article.
No comments:
Post a Comment