द्रुतविलम्बितगो = शीघ्रगती से और लंबी दूरी तक जाने की क्षमता = Fast and Distant mobility!
लेखक : वैद्य हृषीकेश बाळकृष्ण म्हेत्रे.
एम् डी आयुर्वेद, एम् ए संस्कृत.
आयुर्वेद क्लिनिक्स @पुणे & नाशिक.
9422016871
MhetreAyurved@gmail.com
सहचरं सुरदारुं सनागरं
क्वथितमम्भसि तैलविमिश्रितम्।
पवनपीडितदेहगतिः पिबन्
द्रुतविलम्बितगो भवतीच्छया॥
सहचर देवदार और शुंठी इनका क्वाथ बनाकर, उसमे योग्य मात्रा मे तैल संमिश्र करके पान करते है तो,
जिनकी देह गती अर्थात शरीर का चलनवलन वायुसे पीडित हैै , ऐसे रुग्ण भी अपनी "इच्छा के अनुसार, शीघ्रगती से और लंबी दूरी तक जाने मे समर्थ" होते है. Fast and Distant mobility!
रुके रुके से कदम ... रुक के ... बार बार चले
इस मोड से जाते है, कुछ सुस्त कदम रस्ते ... कुछ तेज कदम राहे
इस प्रकार का योग चरक संहिता और सुश्रुत संहिता मे नही मिलता है
भावप्रकाश में इन 3 द्रव्यों के गुणधर्म देखेंगे तो भी इनका इतना वात नाशक कर्म लिखा हुआ नही है
किंतु यही वाग्भटका वैशिष्ट्य है कि, उसने कुछ ऐसे कल्पों का योगदान दिया है, कि जिनकी द्रव्य संख्या कम है ... तथापि परिणामकारकता अधिक है.
इसके पहले भी म्हेत्रेआयुर्वेद MhetreAyurveda ने, इसी *द्रुतविलंबितगो* योग का, स्पर्म की शून्य मोटिलिटी / झिरो मोटिलिटी / oligo-astheno-spermia के केसेस मे यशस्वी उपयोग पर लेख प्रस्तुत किया है
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https://mhetreayurved.blogspot.com/2024/06/oligo-astheno-spermia.html
साथ ही जैसे द्रुतविलंबितगो यह प्रस्तुत योग वेदनाशमन का कार्य करता है, उसी प्रकार से इसके पहले भी म्हेत्रेआयुर्वेद MhetreAyurveda ने वेदनाशामक वातज्वर दुरालाभादि योग इसके संदर्भ मे सविस्तर लिखा है, कि यह इन्स्टंट पेन रिलीफ के रूप मे काम करता है
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https://mhetreayurved.blogspot.com/2023/10/blog-post.html
यह योग भी, जिसका नाम वाग्भटने फलश्रुती के रूप में *द्रुतविलंबितगो* इस प्रकार से उल्लेखित किया है, उसी नाम से यह लेख भी लिखा है.
द्रुत अर्थात शीघ्रगती = फास्ट
विलंबित अर्थात लंबी दूरी तक = डिस्टन्स
गो अर्थात जाने की क्षमता ="गोइंग कॅपॅसिटी / मोबिलिटी
तो जिनका शरीर या जिनके शरीर की गती चलनवलन प्रसारण आकुंचन इसकी क्षमता सामर्थ्य शक्ती बल कौशल प्राविण्य , यह वात के कारण पीडित है, क्षीण है, बाधित है ... ऐसे पेशंट मे इन तीन द्रव्यों का क्वाथ, तैल मिश्रित करके दिया जाये, तो यह उस पेशंट को, उस वात पीडित देह गती से, मुक्ती देकर "द्रुत और विलंबित जाने की क्षमता" प्राप्त करके देता है.
यह तो इस श्लोक का शब्दशः अर्थ हुआ ...
किंतु वस्तुस्थिती मे भी ✅️... अगर यह योग सप्तधा बलाधान टॅबलेट के रूप मे या प्रत्यक्ष क्वाथ के रूप मे, उचित मात्रा मे योग्य तैल मिश्रित करके, अपानकाल मे या भोजनोत्तर काल में प्रयुक्त किया जाये, तो उस उस स्थान की या सर्वांग गत पीडा नष्ट होकर, पेशंट 6 से 12 सप्ताह की ट्रीटमेंट के पश्चात, सत्य परिस्थिती मे "द्रुत विलंबित गो = शीघ्रगती से लंबी दूरी तक जाने मे = फास्ट अँड डिस्टन्स मोबिलिटी की क्षमता मे आता है!!!
संतर्पणजन्य हो या अपतर्पणजन्य हो, धातुक्षयजन्य हो या आवरणजन्य हो ... सभी प्रकार के वातप्रकोप मे यह योग कार्यकारी है !
क्योंकि ...
इसमे देवदार यह स्निग्ध उष्ण और वात शामक तथा भद्रदार्व्यादि गण का आद्यद्रव्य है.
शुंठी विश्वभेषज है, स्निग्ध है, उष्ण है आमवात नाशक है, विबंधनाशक है.
सहचर के नाम मे ही "चर"त्व है अर्थात सुख से चलना, साथ मे चलना ... ऐसा उसका नाम हि है ...
इस कारण से यह योग सभी प्रकार के वातप्रकोपजन्य देह पीडा मे उपयोगी होता है ... तथा यह योग उसके इसी प्रभाव के कारण "द्रुत विलंबित गो" अर्थात शीघ्रगती से लंबी दूरी तक जाने की क्षमता अर्थात फास्ट अँड डिस्टन्ट मोबिलिटी , इस प्रकार का लाभदायक परिणाम देता है
स्पाइनल व्हर्टेब्रल नी डी जनरेशन मन्यागत तथा कटीगत, जानुगत विकृती , जैसे की सायटिका सर्व्हायकल स्पॉंडिलोसिस डिस्क बल्ज ए व्ही एन ऐसे अस्थि तथा संधिगत विकृती एवं च मसल मांसगत ग्रह स्तंभ शोष शोथ वर्त संकोच जन्य विकृतीयां एवं इनके कारण होने वाली वेदना शूल संकोच प्रसारण अक्षमता स्तंभ ग्रह इनमे यह योग कार्यकारी होता है
जिस दादी माँ कि एस एल आर टेस्ट (<10°) टेन डिग्री तक भी नही थी, बेड रिडन थी, उसमे इस योग की सप्तधा बलाधान टॅबलेट्स प्रयुक्त करने के बाद, 3 महिने के पश्चात दादी मां ने बेडसे उतर कर, अपने बेडरूम से हॉल मे आकर, घर के सामने के दस दस स्टेप उतर कर , एक मंजिल नीचे जाकर , फिरसे उपर आकर , अपने बेडरूम तक आने का व्हिडिओ भेज दिया. पूर्ण क्षमता से चलनवलन में सक्षम हो गई तो, स्वयं नवी मुंबई से म्हेत्रेआयुर्वेद MhetreAyurveda के पुणे स्थित पाटील प्लाझा क्लिनिक मे आकर आशीर्वाद दिया और साथ मे अन्य रुग्णभी रेफर करके लेकर आयी !!!
सतत फॉरवर्ड बेंडिंग के रूप मे बैठने वाले टेबल वर्क करने वाले लोगो मे मन्या गत स्कंध गत बाहु गत हस्तगत कूर्पर मणिबंध गत वेदना बाधिर्य गौरव पिपिलिका संचार हस्त उद्धरण अक्षमता भारवहन अक्षमता आदि समस्यायें होती है इनमें यह योग कार्यकारी होता है
जो लोग लंबी दूरी तक ड्रायव्हिंग करते है, जिन्ह उर्ध्वपृष्ठ मध्य पृष्ठ अधोपृष्ठ बॅक अँड लो बॅक पेन स्टिफनेस स्तंभ ग्रह होता है, ऐसे लोगो मे यह योग उपयोगी होता है
जो लोग बहुत देर तक खडे रहते है या चलते रहते है या चढते उतरते रहते है, ऐसे वॉचमन गृहिणी शिक्षक मार्केटिंग डिलिव्हरी पर्सन, इन मे कटी सक्थि जानु पिंडिका पादगत वेदना तथा अन्य समस्या होती है, इसमे भी यह योग कार्यकारी होता है
जो लोग बहुत देर तक सस्पेंडेड लेग्ज कुर्सी पर बैठकर पांव नीचे छोडकर काम करते है और जिन मे अधो कटी प्रदेश में वेदना स्तंभ गौरव आदि समस्या होती है , उनमे भी यह योग कार्यकारी होता है
और यह योग, *अकेला ही , सिंगल ड्रग के रूप मे कार्यकारी होता है*, इसके साथ आपको अन्य आसवारिष्ट अन्य गुगुल कल्प अन्य रसकल्प अन्य भस्म अन्य कषाय देने की आवश्यकता नही होती है ... तेल के बिना भी यह योग कार्यकारी होता है
यह सिंगल ड्रग के रूप मे 6 टॅबलेट दिन मे तीन बार या दो बार , पेशंट के वेदना की तीव्रता के अनुसार , उष्णोदक, चाय या उष्ण दुग्ध या मुद्गयूष... यथा संभव यथा उपलब्ध अनुपान के साथ देने पर, एक दिन से सात दिन मे वेदना मे क्रमशः उपशम लक्षण हानी तथा 15 दिन से 6 सप्ताह या अधिकतम 12 सप्ताह तक की ट्रीटमेंट से संपूर्ण लक्षण उपशम अपुनर्भव रूप मे प्राप्त होता है
क्वाथ बनाना तो हर समय संभव नही होता है, इसलिये क्वाथ की जगह अगर इस द्रुत विलंबित गो योग की सप्तधा बलाधान 6 टॅबलेट तीन बार या दो बार, इस मात्रा मे, वेदना की तीव्रता के अनुसार, तैल संमिश्र करके दे दिया, तो अच्छे अपेक्षित लाभदायक परिणाम प्राप्त होते है. प्रथम दो सप्ताह के पश्चात समाधानकारक उपशम मिलता है. 6 से 12 सप्ताह में प्रायः पेशंट को पूर्ण उपशम मिलता है, जो अपुनर्भव के रूप मे होता है.
कौनसा तैल उसके साथ मिश्र करे, इसका उत्तर "अन्य लक्षणों के अनुसार" ऐसे दिया जा सकता है. अच्छ तिल तैल, अच्छ एरंड तैल या अन्य कोई योग्य सिद्ध तैल जैसे की बलागुडूच्यादि महामाष ऐसे भी तैल दिये जा सकते है.
कुछ पेशंट मे अगर पित्त प्रधान लक्षण है और शरद ऋतू है तो ऐसे पेशंट मे तैल की जगह, अच्छ घृत या केर तैल = coconut oil या किसी अन्य सिद्ध घृत का प्रयोग उपकारक होता है.
सर्वथा तैल मिश्र करना सभी समय संभव या सुविधा जनक नही होता है, तब यह योग केवल उष्णोदक या चाय के साथ भी देने पर परिणाम प्राप्त होते है
यह योग म्हेत्रेआयुर्वेद MhetreAyurveda द्वारा सप्तधा बलाधान टॅबलेट के रूप मे, अन्य भी वैद्यों के उपयोग के लिए उपलब्ध कराया गया है. और इसके एक लाख से भी अधिक टॅबलेट उपयोग करने के पश्चात्, म्हेत्रेआयुर्वेद MhetreAyurveda के स्वयं के क्लिनिक में तथा जिन वैद्य ने सन्मित्रों ने इस द्रुतविलंबितगो योग का पेशंट पर उपयोग किया है, उनके अनुभव के पश्चात, यह लेख यहां पर प्रसारित कर रहे है
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