Friday, 24 October 2025

चरको निदाने फर्स्टः Its Fascinating !!!

 चरको निदाने फर्स्टः

Its Fascinating !!!


Both images credits Google Gemini AI 


यद्यपि निदान मे, माधव निदान को अर्थात रोगविनिश्चय इस ग्रंथ को, 

श्रेष्ठ समझा जाता है , 

तथापि, वस्तुतः, आयुर्वेद शास्त्र के , *"निदान"* इस विषय का मूलाधार, 

इस विषय का सैद्धांतिक अधिष्ठान, 

इस विषय का फाउंडेशन ... 

सर्वप्रथम जिसने सुनिश्चित किया, 

दृढमूल किया ... वह आचार्य चरक ही है! 🙏🏼

इसीलिए... *"चरको निदाने फर्स्टः"* यह वचन उचित है 


यद्यपि, *"चरकस्तु चिकित्सिते"* 

ऐसा कहा जाता है, तथापि, 

"रोगम् आदौ परीक्षेत, ततोऽनन्तरम् औषधम्" ऐसे मार्गदर्शन करने वाला चरक ही, 

*"चरको निदाने फर्स्टः

इस सन्मानोक्ति के लिए 

निश्चित ही अत्यंत सुयोग्य है !


चरक संहिता मे निदान का वर्णन, केवल निदान स्थान मे ही है ऐसा नही है.


निदान के सिद्धांतों तथा रोगों के भी निदान का वर्णन सूत्रस्थान मे भी उपलब्ध होता है.


च सू 16 बहुदोष लक्षण, 

च सू 17 शिरोरोग, हृद्रोग, विद्रधि, मधुमेह, 

च सू 18 शोथ & शल्य शालाक्य के व्याधी

च सू 19 संख्या संप्राप्ती सभी रोगों की , 

च सू 20 नानात्मज व्याधी 

वात 80 पित्त 40 कफ 20, 

च सू 21 स्थौल्य कार्श्य, 

च सू 22 लंघन बृंहण के इंडिकेशन 

च सू 23 संतर्पण अपतर्पण जन्य व्याधी 

च सू 24 शोणितज व्याधी मद मूर्च्छा संन्यास 

च सू 26 विरुद्धान्नजन्य व्याधी 

च सू 27 आहार तो सभी व्याधीयों का निदान और चिकित्सा दोनो है 

च सू 28 धातु प्रदोषजन्य विकार 


विमानस्थान मे अलसक विषूचिका जनपदोध्वंस , रोगों के विविध प्रकार , स्रोतोदुष्टी निदान लक्षण चिकित्सा , कृमी निदान चिकित्सा 


शारीर स्थान मे षंढ वंध्य विकृत गर्भजन्य व्याधी 


चिकित्सा स्थान मे निदान स्थान में वर्णित 

8 रोगों के साथ साथ अन्य भी कई रोगों के निदान का वर्णन है


चिकित्सा स्थान मे तो उन रोगों का भी पुनश्च सविस्तर तथा कुछ अलग पद्धती से भी निदान पुनश्च एक वार दिया है, जिनका वर्णन निदान स्थान मे पहले हो चुका है 


सिद्धी स्थान में त्रिमर्मीय मे अनेक रोगों का निदान वर्णन उपलब्ध होता है 


निदानस्थान में सर्वप्रथम पंचनिदान = निदान पंचक इनका वर्णन या ज्ञान होना आवश्यक होता है , जिसमे एक पूर्वरूप भी समाविष्ट है


मृत्यू यह भी एक प्रकार का कालज व्याधी है और मृत्यू के पूर्वरूप को अरिष्ट कहा गया है और अरिष्ट का वर्णन इंद्रिय स्थान मे है 


इस प्रकार से अगर हम देखेंगे, तो निदान का वर्णन चरक के सूत्र से सिद्धी तक सभी स्थानों मे उपलब्ध होता है (अपवाद कल्प स्थान!)


तो ऐसे अत्यंत विस्तृत एवं मूलभूत विषय का चरक से अध्ययन करना, एक यशस्वी चिकित्सक के लिए तथा एक प्रामाणिक आयुर्वेद अभ्यासक के लिए; अत्यंत आवश्यक, महत्त्वपूर्ण और उपयोगी है 


इसलिये उत्कृष्ट अध्यापक पुरस्कार से (पुणे स्थित वैद्य खडीवाले संस्था द्वारा) सम्मानित तथा 27 वर्षे से Real Pure Only Genuine True आयुर्वेद प्रॅक्टिस = केवल संहितोक्त प्रॅक्टिस यशस्वी रूप से करनेवाले म्हेत्रेआयुर्वेद MHETREAYURVEDA प्रस्तुत कर रहे है, सुबोध सैद्धांतिक एवं रेडी टू यूज, यूजर फ्रेंडली, फ्रेश & हाॅट सर्वह्ड, क्लिनिकल प्रॅक्टिकल 

ऑनलाईन व्याख्यानमाला ...

चरको निदाने फर्स्टः ; It's Fascinating

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 ऑनलाईन चरक संहिता + चक्रपाणि टीका ... Medium Hindi हिंदी ... joining link👇🏼

https://www.mhetreayurveda.com/charak-evachan/register.php

चरको निदाने फर्स्टः ! 

इस प्रॅक्टिकल व्याख्यानमाला मे चरकोक्त निदान के विषयों को 

अक्षर (literally) से लेकर 

प्रॅक्टिस (Clinical) तक 

और उसके परे भी तत्त्वावबोध रुपी हर्षानंद ... Fascinating = मजा आना चाहिए तक, 

सर्व स्तरों पर निरुपित किया गया है, 

जो एक नवप्रवेशित BAMS प्रथम वर्ष विद्यार्थी से लेकर, 

जिनकी प्रॅक्टिस 30 / 40 साल से भी अधिक है, 

ऐसे अनुभवी वैद्यों के लिए तक, 

अत्यंत स्वागतार्ह तथा उपयोगी है 


चरक = आयुर्वेद व्हर्जन 1.0 

Explored & Explained by 

म्हेत्रेआयुर्वेद = आयुर्वेद व्हर्जन 4.0

Welcome to 

चरको निदाने फर्स्टः ; It's Fascinating


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