Saturday, 14 October 2023

वेदनाशामक आयुर्वेदीय पेन किलर टॅबलेट : झटपट रिझल्ट, इन्स्टंट परिणाम

वेदनाशामक आयुर्वेदीय पेन किलर टॅबलेट : झटपट रिझल्ट, इन्स्टंट परिणाम

लेखक : Copyright © वैद्य हृषीकेश बाळकृष्ण म्हेत्रे. एम डी आयुर्वेद एम ए संस्कृत

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🌟 वेदना रुजा शूल तोद ऐसे अनेक पर्यायी शब्द शास्त्र में उल्लेखित है. आजकल के ट्रेंडी भाषा में, परिचित शब्दों में इसे पेन pain कहते है. और फिर आयुर्वेद मे ऐसे झटपट परिणाम इन्स्टंट रिझल्ट देने वाले पेन किलर्स है क्या, ऐसा प्रश्न सहजही आता है. 

 ✍️ किसी भी प्रकार की वेदना हो, तो हमारा विचार वात की दिशा से जाता है और स्नेहन एवं स्वेदन यह प्रथम उपचार पद्धती मन मे आती है. 

✍️🏼 परंतु स्नेहन स्वेदन यह कर्मात्मक विधी करना, यह पेशंट के लिए हर बार सुकर होगा संभव होगा, ऐसे नही. इसी कारण से जैसे मॉडर्न मेडिसिन मे ॲनल्जेसिक या पेन किलर्स होते है, ऐसा आयुर्वेद मे कुछ है क्या, ऐसा प्रश्न आयुर्वेद मे आने के बाद, विद्यार्थी दशा से लेकर, जीपी करने वाले आयुर्वेद के वैद्यों तक या सभी आयुर्वेदिक समाज को यह प्रश्न होता है. और फिर प्रायः विविध प्रकार के गुग्गुल कल्प जैसे की योगराज महायोगराज सिंहनाद त्रयोदशांग या फिर महावातविध्वंस को शरण जाना पडता है. 

✍️🏼 क्वचित् जिन वैद्य के पास पंचकर्म सुविधा है , वो बस्ति उपक्रम का भी पुरस्कार करते है. किंतु इन सब कल्पों को तथा पंचकर्मों को कितनी मर्यादायें है, ये हम सभी को ज्ञात है. 

✍️🏼 महावातविध्वंस अगर अच्छे क्वालिटी का नही मिला तो , या फिर उसका डोस थोडा बहुत ज्यादा हो गया , तो उसके कितने भयंकर दुष्परिणाम होते है, यह हम सभी के लिये आदरणीय है, ऐसे दो ज्येष्ठ वैद्योंने स्वयं अनुभव किया है. उन्हे पुणे के मॉडर्न मेडिसिन के हॉस्पिटल के आय सी यु मे ऍडमिट करके उपचार करने की स्थिती हो गई थी. 

✍️🏼 इसके साथ ही उपर सुझाये हुए, स्नेहन स्वेदन बस्ति गुग्गुल कल्प, इनका मूल्य / कॉस्टिंग और उनसे प्राप्त हो सकने वाली वेदनाशामकता की क्वालिटी लेवल, इनका आर्थिक समीकरण ठीक होता नही, ये भी सभी को मन ही मन मे मान्य होता है. इसी कारण से झटपट परिणाम इन्स्टंट रिझल्ट देने वाली वेदनाशामक आयुर्वेदिक टॅबलेट आज भी सभी के लिये सर्चेबल very wanted और बहुत हि मनचाही ऐसी वस्तु बनकर रह गई है

✍️🏼 साधारणतः 6 वर्ष के अनुभव के बाद और 12 किलो अर्थात 48000 टॅबलेट का प्रयोग करने के बाद , यह लेख मैं लिख रहा हूं. 

✍️🏼 ज्वर यह शब्द रोग का पर्यायी नाम है, ऐसे चरक एवं अष्टांगहृदय के निदान स्थान में लिखा हुआ है. इसलिये ज्वर के लक्षणों के लिए आनेवाली औषधी योजना प्रायः सभी रोगो मे उपयुक्त हो सकती है, ऐसा एक मेरा अभ्युपगम आकलन समझ वैयक्तिक मत एवं अनुभव है. 

✍️🏼 चरकने भी ज्वर के अध्याय के अंतिम श्लोक मे पुनरावर्तक ज्वर के लिए लिखे हुए क्वाथकल्प मे यह लिखा है, कि यह योग अन्य पुनरावर्तक व्याधियों मे भी उपयोगी हो सकता है.

✍️🏼 
यान्ति ज्वरमकुर्वन्तस्ते तथाऽप्यपकुर्वते ।
एवमन्येऽपि च गदा व्यावर्तन्ते पुनर्गताः । 
अनिर्घातेन दोषाणामल्पैरप्यहितैर्नृणाम् ॥ 
किराततिक्तकं तिक्ता मुस्तं पर्पटकोऽमृता । 
घ्नन्ति पीतानि चाभ्यासात् पुनरावर्तकं ज्वरम् ॥ 

इस पुनरावर्तक योग के विषय में अगले लेख मे सविस्तर लिखेंगे. ✍️🏼 

*आज का लेख यह झटपट परिणाम इन्स्टंट रिझल्ट देने वाली वेदनाशामक आयुर्वेदिक टॅबलेट के लिए है*. 

✍️🏼 वातज्वर के सभी लक्षण अगर देखे जाये, तो पांव से लेकर सिर तक, आपादमस्तक, विविध प्रकार की वेदनाओंका वर्णन उपलब्ध है. 

अष्टांगहृदय के ज्वर निदान के अध्याय मे इन वेदनात्मक लक्षणों का वैविध्य अधिक विस्तार से उपलब्ध है, जो उत्सुक एवं जिज्ञासू वैद्यमित्रोंने मूलग्रंथ से पढना उचित होगा. 

यह संदर्भ बताने का उद्देश यह है, की शरीर के किसी भी भाग मे आपादमस्तक कहीं पर भी वेदना रुजा शूल तोद ग्रह इस प्रकार की pain पेन अगर अनुभव को आती है, तो उस पर का एक यशस्वी उपचार अर्थात वातज्वर के लिए उल्लेखित वाग्भट कषायकल्प !!! 

✍️🏼 इसमे केवल चार वनस्पती द्रव्य समाविष्ट है. दुरालभा अमृता मुस्ता नागरम् वातजे ज्वरे = धमासा गुळवेल/गिलोय नागरमोथा व शुंठी इन चार औषधी द्रव्यों का सुकर स्वल्पकाय कल्प है

✍️🏼 इन चार द्रव्यों के द्रव्य गुण कर्म के डिटेल्स में नही जाता हूँ. इनका विवरण आप सभी को पूर्वज्ञात है. 

✍️🏼 मुझे इस क्वाथकल्प के विषय में कुछ अलग प्रस्तुती करनी है 

✍️🏼 अर्थात संहिता कालीन चिकित्सा विधीके अनुसार इन द्रव्यों का क्वाथ बनाकर देना अभिप्रेत है. किंतु आज के गतिमान जीवन मे काढा करके लेने के लिए पेशंट के पास समय और इच्छा दोनो उपलब्ध नही है. 

साथ ही काढा की टेस्ट एवं मात्रा ये दोनो भी सुविधा जनक नही होते है. 

इस पर उपाय के रूप मे, इन चार औषधों के चूर्ण को, इन चार औषधों के क्वाथ की सात भावनायें ... ॲक्च्युअली भावना न कहकर, सप्तधा शक्तिदान या बलाधान या अंग्रेजी शब्द मे फोर्टिफिकेशन करके, उसकी 250 mg की टॅबलेट बनाये. 

इस विधी मे 3 किलो चूर्ण को 21 किलो चूर्ण के काढा उसमे शोषित absorb/adsorb करवाया. इस प्रकार से *सप्तधा बलाधान* किये हुए तीन किलो चूर्ण से 12000 टॅबलेट बनते है, 250mg के !!! 

✍️🏼 ज्वर हो या ना हो, वातज्वर हो या ना हो, पेशंटने किसी भी प्रकार की वेदना का निवेदन किया, तो उस पर ये सप्तधा बलाधान की हुई टॅबलेट 2, 4 या 6 प्रमाण/संख्या में, दिन मे 2,3 या 4 बार गरम पानी के साथ, या चाय के साथ, या केवल चबाकर खाकर पानी पिया जाये, तो प्रायः पेशंट, 30 मिनिट से लेकर, 2 घंटे तक के कालावधी में, "वेदना का शमन हुआ" इस प्रकार का अनुभव करता है, ऐसी प्रचिती आती है. पेशंट के वेदना की इंटेन्सिटी और फ्रिक्वेन्सी के अनुसार, समय थोडा बहुत, कम अधिक हो सकता है. मॉडर्न मेडिसिन की पेन किलर की तरह, इस टॅबलेट के सेवन के बाद, ॲसिडिटी / उदर दाह आदि उपद्रव नही होते है. इसलिये साथ मे फिरसे antacid देने की आवश्यकता नही होती है. 

✍️🏼 संहिता मे जैसे कहा गया है, वैसे इस का क्वाथ बनाकर देना, प्रॅक्टिकली संभव नही होता है, क्योंकि क्वाथ का डिस्पेन्सिंग और ट्रान्सपोर्ट प्रॅक्टिकली सुविधा जनक नही है, 

इसीलिए चरक मे हि आये हुये आदेश के अनुसार ...

 भूयश्चैषां बलाधानं कार्यं स्वरसभावनैः । 
सुभावितं ह्यल्पमपि द्रव्यं स्याद्बहुकर्मकृत् ॥ स्वरसैस्तुल्यवीर्यैर्वा तस्माद्द्रव्याणि भावयेत् । 
👆🏼 
इस श्लोक के अनुसार, 
हमने *सप्तधा बलाधान* टॅबलेट का निर्माण, प्रचलन और प्रयोग/ उपयोग बहुतर मात्रा ने किया. 

ऐसे केवल वातज्वर के क्वाथ की हि नही, अपितु अलग अलग 33 कल्प/गण/क्वाथ का सप्तधा बलाधान टॅबलेट मे रूपांतरण, प्रस्तुतीकरण, प्रचलन, वितरण, उपयोग हम कर रहे है. 

✍️🏼जिसका प्रारंभ, जैसे की सभी को ज्ञात है, की हमने *वचाहरिद्रादि गण सप्तधा बलाधान टॅबलेट* से किया है. जिसका अधिकतर मात्रा मे प्रयोग हम डायबिटीस टाईप टू और स्थौल्य रुग्णों मे यशस्वी रूप से कर रहे है. विगत छ वर्ष मे व वचाहरिद्रादि गण की पचास किलो से भी अधिक अर्थात 2 लाख से अधिक टॅबलेट का हमने पेशंट पर प्रयोग किया है. 

✍️🏼 क्वाथ की मात्रा 2 पल अर्थात 80 से 100 ml तक होती है, 
उसके लिए 20-25 ग्राम चूर्ण को 16 गुना पानी में उबालकर एक चौथाई या एक अष्टमांश बचाकर छान लेना पडता है... 

✍️🏼 और अगर चूर्ण की मात्रा देखिये, तो वो 1 कर्ष अर्थात 10-12 ग्राम इतनी है. 

✍️🏼 20-25 या 10 ग्राम दोनो भी मात्रा, एक समय मे देना, प्रॅक्टिकली असुविधाजनक है. 

😇🙃 अगर 10 ग्राम चूर्ण भी देना है, तो 250mg की 40 टॅबलेट देनी पडेगी. क्योंकि 1 ग्रॅम मे 250mg की 4 टेबलेट्स आती है और 40 टॅबलेट अगर एक समय मे लेनी है, तो उसको कढाई मे डालकर तेल धना जीरा कांदा ऐसा तडका देकर सब्जी बनाकर खाना पडेगा😆😇🙃 

 ✍️🏼 इसी कारण से चूर्ण को संहितोक्त मात्रा में देना भी, आजकल प्रॅक्टिकली संभव नही है, किंतु अगर इस चूर्ण को सप्तधा बलाधान किया हुआ है, तो 40 टॅबलेट डिव्हायडेड बाय 7 (40÷7=6) अर्थात केवल 6 टॅबलेट देकर, उतनाही परिणाम प्राप्त हो सकता है. टॅबलेट को अगर चूर्ण करके / पावडर करके / क्रश करके लिया जाये, तो केवल 1.5 ग्राम इतनी ही मात्रा होती है, जो कोई भी पेशंट, किसी भी समय, और दिन मे तीन या चार बार, आसानी से ले सकता है.

✍️🏼 कुछ कंपनी 500mg & 750mg टॅबलेट बनाते है. अभी हाल मे तो एक कंपनी की एक ग्रॅम की भी कॅप्सूल के आकार की टॅबलेट देखी है. तो अगर टॅबलेट की साईज बढाई जाये तो 2 या 3 टॅबलेट में हि कार्य सफल हो सकता है

✍️🏼 ये 6 टॅबलेट गरम पाणी के साथ या चाय के साथ या केवल पानी के साथ भी अगर ली जाये , या चबाकर खाकर उस पर पानी पिया जाये, तो भी पेट मे जाकर, कुछ ही समय में , उसका संहिता को जैसे अभिप्रेत है, वैसे क्वाथ बन जायेगा. क्योंकि इन टॅबलेट्स की हार्डनेस और डिसिंटिग्रेशन टाईम उस प्रकार से निश्चित किया हुआ रहता है. 

✍️🏼 और जैसे पहले बताया, वैसे इस प्रकार की सप्तधा बलाधान टॅबलेट का सेवन उचित मात्रा मे करने के बाद, 30 मिनिट से 2 घंटे की कालावधी मे, पेशंट को वेदनाशमन (pain relief) का अनुभव प्रायः आता है. ऐसा हमे पिछले 6 सालो मे , 12 किलो = 48000 टॅबलेट के उपयोग के बाद ज्ञात हुआ है. 

✍️🏼 अभी वातज ज्वर वाग्भटोक्त क्वाथ (दुरालभा अमृता मुस्ता नागरम् वातजे ज्वरे) , यह कोई मेरा एकाधिकार या मेरा अपना संशोधन /डिस्कवरी /रिसर्च /पेटंट ऐसा कुछ भी नही है. म्हेत्रेआयुर्वेद MhetreAyurveda ने इस क्वाथ के सप्तधा बलाधान टॅबलेट का महाराष्ट्र शासन की औषध निर्माण रजिस्ट्री में विधीपूर्वक रजिस्ट्रेशन किया हुआ है
जिन्हे इस प्रकार की सप्तधा बलाधान टॅबलेट का अनुभव लेना हो, तो वे स्वयं इस प्रकार का प्रयोग करके देखे. किंतु इसके चूर्ण के रिझल्ट नही आते है. आप सप्तधा बलाधान की टॅबलेट बनाकर हि इसका प्रयोग करे. जिन्हे प्रयोग के लिए / अभ्यास की दृष्टि से / शास्त्र अनुभव के रूप मे, इस प्रकार की टॅबलेट का उपयोग करके देखना है, वे हमे संपर्क कर सकते है या अपने यहां स्थानिक स्तर पर स्वयं सप्तधा बलाधान टॅबलेट का निर्माण करके उसका उपयोग करके इस अनुभव को स्वयं ले सकते है. 

✍️🏼 डिस्क्लेमर/Disclaimer : उपरोक्त कल्प क्वाथ योग टॅब्लेट का परिणाम; उसमे सम्मिलित द्रव्यों की क्वालिटी, दी हुई मात्रा, कालावधी, औषधिकाल, ऋतु, पेशंट की अवस्था इत्यादि अनेक घटकों पर निर्भर करता है. 
✍️🏼 Copyright © वैद्य हृषीकेश बाळकृष्ण म्हेत्रे. एम डी आयुर्वेद एम ए संस्कृत. सर्वाधिकार सुरक्षित All rights reserved. 
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11 comments:

  1. Thanks for sharing such a nice INFORMATION.
    Can you provide us??
    Please reply on my no 9166886264

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  2. आमच्या रूग्णांना या गोळ्यांचा लाभ कसा मिळू शकेल?

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  3. भूयश्चैषां बलाधानं कार्यं स्वरसभावनैः ।
    सुभावितं ह्यल्पमपि द्रव्यं स्याद्बहुकर्मकृत् ॥ स्वरसैस्तुल्यवीर्यैर्वा तस्माद्द्रव्याणि भावयेत् ।

    What is the reference of this shloka
    In charak samhita

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  4. Sir , heavy diabetic patient with muscle wasting and with AMD , unable to use one leg for climbing staircase , will he be benefited with this ?

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    1. Yes. Better to use DrutaVilambitaGo द्रुतविलंबितगो

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  5. This comment has been removed by the author.

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